धारा 33 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम — जब लिखत रद्द की गई या शून्य अथवा शून्यकरणीय होने के रूप में सफलतापूर्वक प्रतिरोधित की गई, तो प्रत्यावर्तित किये जाने वाले फायदे या दिये जाने वाले प्रतिकर की अपेक्षा करने की शक्ति —
(1) किसी लिखत का रद्दकरण न्यायनिर्णीत किये जाने पर, न्यायालय पक्षकार से अपेक्षा कर सकेगा जिसे ऐसा अनुतोष अनुदत्त किया गया हो, कि कोई फायदा जो उसने अन्य पक्षकार से प्राप्त किया हो, जहाँ तक हो सके, प्रत्यावर्तित करे और उसे कोई प्रतिकर दे जो न्याय अपेक्षित करे ।
(2) जहाँ कोई प्रतिवादी किसी वाद का सफलतापूर्वक प्रतिरोध (निम्नलिखित) आधार पर करे : –
(क) कि वाद में उसके विरुद्ध प्रवर्तित कराने के लिये ईप्सित लिखत शून्यकरणीय है, न्यायालय, यदि प्रतिवादी ने अन्य पक्षकार से लिखत के अधीन कोई फायदा प्राप्त किया हो तो उससे अपेक्षा कर सकेगा कि ऐसा फायदा उस पक्षकार को, जहाँ तक हो सके, प्रत्यावर्तित करे या उसके लिये प्रतिकर दे;
(ख) कि भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (1872 का 9) की धारा 11 के अधीन संविदा करने के लिये वह सक्षम नहीं होने के कारण, वाद में उसके विरुद्ध प्रवर्तित कराने के लिये ईप्सित करार शून्य है, तो न्यायालय, यदि प्रतिवादी ने अन्य पक्षकार से करार के अधीन कोई फायदा प्राप्त किया हो तो उससे अपेक्षा कर सकेगा कि ऐसा फायदा उस पक्षकार को, उस विस्तार तक जितना उसके द्वारा उसे या उसकी संपदा को फायदा हुआ, जहाँ तक हो सके, प्रत्यावर्तित करे ।
Section 33 Specific Relief Act — Power to require benefit to be restored or compensation to be made when instrument is cancelled or is successfully resisted as being void or voidable —
(1) On adjudging the cancellation of an instrument, the court may require the party to whom such relief is granted, to restore, so far as may be any benefit which he may have received from the other party and to make any compensation to him which justice may require.
(2) Where a defendant successfully resists any suit on the ground–
(a) that the instrument sought to be enforced against him in the suit is voidable, the court may if the defendant has received any benefit under the instrument from the other party, require him to restore, so far as may be, such benefit to that party or to make compensation for it; धारा 33 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम
(b) that the agreement sought to be enforced against him in the suit is void by reason of his not having been competent to contract under section 11 of the Indian Contract Act, 1872 (9 of 1872), the court may, if the defendant has received any benefit under the agreement from the other party, require him to restore, so far as may be, such benefit to that party, to the extent to which he or his estate has benefited thereby.