धारा 38 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 — अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र का प्रतिसंहरण-–
(1) प्रमाणकर्ता प्राधिकारी, अपने द्वारा जारी किया गया अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र उस दशा में प्रतिसंहृत कर सकेगा-
(क) जहां उपयोगकर्ता या उसके द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य व्यक्ति उस आशय का अनुरोध करे; या
(ख) उपयोगकर्ता की मृत्यु हो जाती है; या
(ग) फर्म का विघटन या कंपनी का परिसमापन हो जाता है यदि उपयोगकर्ता फर्म या कंपनी है।
(2) उपधारा (3) के उपबंधों के अधीन रहते हुए और उपधारा (1) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, प्रमाणकर्ता प्राधिकारी, अपने द्वारा जारी किए गए अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र को किसी भी समय प्रतिसंहृत कर सकेगा यदि उसकी यह राय है कि,-
(क) अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में दिया गया कोई सारवान् तथ्य मिथ्या है या उसे छिपा दिया गया है;
(ख) अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र के जारी किए जाने से संबंधित अपेक्षाएं पूरी नहीं की गई हैं;
(ग) प्रमाणकर्ता प्राधिकारी की प्राइवेट कुंजी या सुरक्षा प्रणाली ऐसी रीति से गोपनीय नहीं रह गई है जिससे अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र की विश्वसनीयता तात्विक रूप से प्रभावित होती है;
(घ) उपयोगकर्ता को दिवालिया या मृत घोषित किया गया है या जहाँ उपयोगकर्ता फर्म या कंपनी है वहां उसका विघटन या परिसमापन हो गया है या वह अन्यथा अस्तित्व में नहीं रह गई है।
(3) कोई अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र तब तक प्रतिसंहृत नहीं किया जाएगा जब तक कि उपयोगकर्ता को मामले में सुनवाई का अवसर न दे दिया गया हो ।
(4) इस धारा के अधीन अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र का प्रतिसंहरण होने पर प्रमाणकर्ता प्राधिकारी उसकी संसूचना उपयोगकर्ता को देगा।
Section 38 IT Act 2000 — Revocation of Digital Signature Certificate —
(1) A Certifying Authority may revoke a Digital Signature Certificate issued by it–
(a) where the subscriber or any other person authorised by him makes a request to that effect; or
(b) upon the death of the subscriber; or
(c) upon the dissolution of the firm or winding up of the company where the subscriber is a firm or a company.
(2) Subject to the provisions of sub-section (3) and without prejudice to the provisions of sub-section (1), a Certifying Authority may revoke a Digital Signature Certificate which has been issued by it at any time, if it is of opinion that– धारा 38 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000
(a) a material fact represented in the Digital Signature Certificate is false or has been concealed;
(b) a requirement for issuance of the Digital Signature Certificate was not satisfied;
(c) the Certifying Authority’s private key or security system was compromised in a manner materially affecting the Digital Signature Certificate’s reliability; धारा 38 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000
(d) the subscriber has been declared insolvent or dead or where a subscriber is a firm or a company, which has been dissolved, wound-up or otherwise ceased to exist.
(3) A Digital Signature Certificate shall not be revoked unless the subscriber has been given an opportunity of being heard in the matter.
(4) On revocation of a Digital Signature Certificate under this section, the Certifying Authority shall communicate the same to the subscriber
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