धारा 41 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 — अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र की स्वीकृति–
(1) किसी उपयोगकर्ता के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र स्वीकार कर लिया है यदि वह अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र को–
(क) एक या अधिक व्यक्तियों को;
(ख) किसी निधान में, प्रकाशित करता है या उसका प्रकाशन प्राधिकृत करता है, या अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र के लिए अपना अनुमोदन किसी रीति में अन्यथा प्रदर्शित करता है ।
(2) अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र को स्वीकार करके उपयोगकर्ता उन सभी को जो अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में अंतर्विष्ट सूचना पर युक्तियुक्त रूप से विश्वास करते हैं, प्रमाणित करता है कि-
(क) उपयोगकर्ता के पास अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में सूचीबद्ध लोक कुंजी के अनुरूप प्राइवेट कुंजी है और वह उसे रखने का हकदार है;
(ख) प्रमाणकर्ता प्राधिकारी को उपयोगकर्ता द्वारा किए गए सभी व्यपदेशन और अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में अंतर्विष्ट सूचना से सुसंगत सभी तात्विक तथ्य सही हैं;
(ग) अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में की ऐसी सभी सूचनाएं, जो उपयोगकर्ता की जानकारी में हैं, सही हैं।
Section 41 IT Act 2000 — Acceptance of Digital Signature Certificate—
(1) A subscriber shall be deemed to have accepted a Digital Signature Certificate if he publishes or authorises the publication of a Digital Signature Certificate–
(a) to one or more persons;
(b) in a repository; or
otherwise demonstrates his approval of the Digital Signature Certificate in any manner.
(2) By accepting a Digital Signature Certificate the subscriber certifies to all who reasonably rely on the information contained in the Digital Signature Certificate that–
(a) the subscriber holds the private key corresponding to the public key listed in the Digital Signature Certificate and is entitled to hold the same;
(b) all representations made by the subscriber to the Certifying Authority and all material relevant to the information contained in the Digital Signature Certificate are true;
(c) all information in the Digital Signature Certificate that is within the knowledge of the subscriber is true.