धारा 42 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 — प्राइवेट कुंजी का नियंत्रण-–
(1) प्रत्येक उपयोगकर्ता अपने अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में सूचीबद्ध लोक कुंजी के अनुरूप प्राइवेट कुंजी का नियंत्रण रखने में युक्तियुक्त सावधानी बरतेगा और [***] उसे प्रकट न होने देने के लिए सभी उपाय करेगा ।
(2) यदि अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में सूचीबद्ध लोक कुंजी के अनुरूप प्राइवेट कुंजी गोपनीय नहीं रह गई है, तो उपयोगकर्ता इसकी संसूचना प्रमाणकर्ता प्राधिकारी को ऐसी रीति में अविलम्ब देगा, जो विनियमों द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए ।
स्पष्टीकरण — शंकाओं को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि उपयोगकर्ता तब तक दायी होगा जब तक कि उसने प्रमाणकर्ता प्राधिकारी को सूचित न कर दिया हो कि प्राइवेट कुंजी गोपनीय नहीं रह गई है।
Section 42 IT Act 2000 — Control of private key —
(1) Every subscriber shall exercise reasonable care to retain control of the private key corresponding to the public key listed in his Digital Signature Certificate and take all steps to prevent its disclosure 1 ***
(2) If the private key corresponding to the public key listed in the Digital Signature Certificate has been compromised, then, the subscriber shall communicate the same without any delay to the Certifying Authority in such manner as may be specified by the regulations.
Explanation.–For the removal of doubts, it is hereby declared that the subscriber shall be liable till he has informed the Certifying Authority that the private key has been compromised.