धारा 5 मध्यप्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 — अत्यावश्यक सेवा में कतिपय क्रियाकलापों का प्रतिषेध —
धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन किये गये आदेश में विनिर्दिष्ट की गई तारीख से, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अत्यावश्यक सेवा से सम्बन्धित है, चाहे अकेले या सम्मिलित रूप में,
(एक) इन्कार करके या अन्य प्रकार से, पूर्ण या आंशिक कार्य-विराम का आश्रय नहीं लेगा;
(दो) प्रसामान्य कार्य समय के परे, कार्य करने से उस दशा में इन्कार नहीं करेगा, जबकि ऐसा कार्य अत्यावश्यक सेवा के संधारण के लिये आवश्यक हो; या
(तीन) किसी संस्थापना (इन्स्टालेशन), मशीनरी, संयंत्र, यान, भवन, कार्यालय -अभिलेख या किसी अन्य सम्पत्ति का अवह्रसन नहीं करेगा, उसे नुकसान नहीं पहुँचायेगा या उसे विनष्ट नहीं करेगा या ऐसे कार्य के किये जाने का प्रयत्न नहीं करेगा या उसका दुष्प्रेरण नहीं करेगा; या
(चार) छुट्टी की पूर्व मन्जूरी के बिना कर्तव्य से अनुपस्थित नहीं रहेगा या
(पाँच) कलम बन्द करने, टेलीफोन बन्द करने, औजार बन्द करने, चक्काजाम करने, धीमी गति से काम करने जैसे किसी भी क्रियाकलाप या किसी अन्य क्रियाकलाप, चाहे वह किसी भी नाम से पुकारा जाए, जिसकी कि परिणति कार्य- विराम या कार्य-मंदता में होती है, का आश्रय नहीं लेगा; या
(छः) ऐसे कार्य या कार्यलोप का आश्रय नहीं लेगा जिसकी कि परिणति प्रसामान्य कामकाज की विच्छिन्नता में होती हो ;या
(सात) किसी भी व्यक्ति को अपने कर्तव्य पर उपस्थित होने तथा कर्तव्यों का निर्वहन करने से निवारित या बाधित नहीं करेगा ।