धारा 5 मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 — अपराध करने के लिए आमादा व्यक्तियों का हटाया जाना. –
जब कभी जिला मजिस्ट्रेट को यह प्रतीत हो कि, –
(क) किसी व्यक्ति के आने-जाने या कार्यों से मानव शरीर या सम्पत्ति को संत्रास, खतरा या अपहानि कारित हो रही है, या ऐसा आना-जाना या कार्य ऐसा संत्रास, खतरा या अपहानि कारित करने के लिए प्रकल्पित है; या
(ख) यह विश्वास करने के लिए युक्तियुक्त कारण है कि ऐसा व्यक्ति किसी ऐसे अपराध के, जिसमें बल या हिंसा अन्तर्बलित है, या भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (1860 का सं. 45) के अध्याय 12, 16 या 17 या उसकी धारा 506 या 509 के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के करने में या ऐसे किसी अपराध के दुष्प्रेरण में संलग्न है या संलग्न होने को आमादा है और जब जिला मजिस्ट्रेट की राय में, ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध साक्षीगण अपने शरीर या सम्पत्ति की सुरक्षा के बारे में उसकी ओर से आशंका होने के कारण, खुले आम साक्ष्य देने हेतु आगे आने के लिए रजामंद नहीं हैं; या
(ग) किसी अप्रवासी के लगातार निवास से किसी महामारी का प्रादुर्भाव होना संभाव्य है,
तो जिला मजिस्ट्रेट उस पर सम्यक् रूपेण तामील किये गये लिखित आदेश द्वारा डोंडी पिटवाकर या अन्यथा, जैसा जिला मजिस्ट्रेट उचित समझे, ऐसे व्यक्ति या अप्रवासी को निदेश दे सकेगा कि. –
(क) वह ऐसी रीति में आचरण करे जो हिंसा या संत्रास या ऐसे रोग के प्रादुर्भाव या प्रसार का निवारण करने के लिए आवश्यक प्रतीत हो; या
(ख) वह जिले या उसके किसी भाग या ऐसे क्षेत्र तथा उसके समीपस्थ किसी जिले या जिलों या उसके / उनके किसी भाग के बाहर ऐसे मार्ग से तथा ऐसे समय के भीतर जैसा कि जिला मजिस्ट्रेट विनिर्दिष्ट करे, चला जाये और यथास्थिति उक्त जिले या उसके भाग या ऐसे क्षेत्र तथा ऐसे समीपस्थ जिलों या उनके भाग में, जहाँ से कि हट जाने का उसे निर्देश दिया गया था, प्रवेश न करें या न लौटें ।