धारा 50 किशोर न्याय अधिनियम 2015 — बाल गृह. –
(1) राज्य सरकार, प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में स्वयं या स्वैच्छिक अथवा गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से ऐसे बाल गृह स्थापित कर सकेगी और उनका रखरखाव कर सकेगी, जिन्हें बालकों को देखरेख, उपचार, शिक्षा, प्रशिक्षण, विकास और पुनर्वास के लिए देखरेख और संरक्षण के जरूरतमंद बालकों को रखने के लिए उस रूप में रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा ।
(2) राज्य सरकार, किसी बाल गृह को, बालकों के लिए विशेष जरूरतों वाले ऐसे उपयुक्त गृह के रूप में अभिहित कर सकेगी, जो आवश्यकता पर निर्भर करते हुए विशिष्ट सेवा प्रदान करता है।
(3) राज्य सरकार, नियमों द्वारा बाल गृहों की मानीटरी और प्रबंध का उपबंध कर सकेगी,जिसके अंतर्गत प्रदत्त प्रत्येक बालक के लिए व्यष्टिक देखरेख योजना के आधार पर उनके द्वारा प्रदत्त की जाने वाली सेवाओं का स्तर और प्रकृति भी है।
Section 50 Juvenile Justice Act 2015 — Children’s Home —
(1) The State Government may establish and maintain, in every district or group of districts, either by itself or through voluntary or non-governmental organisations, Childrens Homes, which shall be registered as such, for the placement of children in need of care and protection for their care, treatment, education, training, development and rehabilitation.
(2) The State Government shall designate any Childrens Home as a home fit for children with special needs delivering specialised services, depending on requirement.
(3) The State Government may, by rules, provide for the monitoring and management of Childrens Homes including the standards and the nature of services to be provided by them, based on individual care plans for each child.