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धारा 56 किशोर न्याय अधिनियम 2015 | Section 56 JJ Act in hindi 2015 | Section 56 Juvenile Justice Act 2015 in hindi

धारा 56 किशोर न्याय अधिनियम 2015 — दत्तक ग्रहण. –

(1) दत्तक ग्रहण का अवलंब अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालकों के लिए कुटुंब के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस अधिनियम के उपबंधों और उसके अधीन बनाए गए नियमों तथा प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार किया जाएगा ।

(2) एक नातेदार से दूसरे नातेदार द्वारा किसी बालक का दत्तक ग्रहण धर्म को विचार में लाए बिना, इस अधिनियम के उपबंधों और प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण के विनियमों के अनुसार किया जा सकता है ।

(3) इस अधिनियम की कोई बात हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (1956 का 78) के उपबंधों के अनुसार किए गए बालकों के दत्तकग्रहण को लागू नहीं होगी । 

(4) सभी अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण, केवल इस अधिनियम के उपबंधों और प्राधिकरण द्वारा विरचित ग्रहण के विनियमों के अनुसार ही किए जाएंगे ।

(5) कोई व्यक्ति, जो जिला मजिस्ट्रेट के विधिमान्य आदेश के बिना किसी बालक को किसी दूसरे देश में ले जाता है या भेजता है या किसी दूसरे देश में अन्य व्यक्ति को किसी बालक की देखरेख और अभिरक्षा को अंतरित करने के किसी इंतजाम में भाग लेता है, धारा 80 के उपबंधों के अनुसार दंडनीय होगा |


Section 56 Juvenile Justice Act 2015 —  Adoption

(1) Adoption shall be resorted to for ensuring right to family for the orphan, abandoned and surrendered children, as per the provisions of this Act, the rules made thereunder and the adoption regulations framed by the Authority.


(2) Adoption of a child from a relative by another relative, irrespective of their religion, can be made as per the provisions of this Act and the adoption regulations framed by the Authority.


(3) Nothing in this Act shall apply to the adoption of children made under the provisions of the Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956 (78 of 1956).


(4) All inter-country adoptions shall be done only as per the provisions of this Act and the adoption regulations framed by the Authority.


(5) Any person, who takes or sends a child to a foreign country or takes part in any arrangement for transferring the care and custody of a child to another person in a foreign country without a valid order from the 1[District Magistrate], shall be punishable as per the provisions of section 80.

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