धारा 58 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 —अपील अधिकरण की शक्तियां और प्रक्रिया—
(1) अपील अधिकरण, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) द्वारा अधिकथित प्रक्रिया से आबद्ध नहीं होगा, किन्तु नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों से मार्गदर्शित होगा और इस अधिनियम के अन्य उपबंधों तथा किन्हीं नियमों के अधीन होगा अपील अधिकरण को अपनी प्रक्रिया को, जिसके अंतर्गत वह स्थान भी है जहाँ उसकी बैठकें होंगी विनियमित करने की शक्ति होगी ।
(2) अपील अधिकरण को इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के निर्वहन के प्रयोजनों के लिए निम्नलिखित विषयों के संबंध में वही शक्तियां होंगी जो किसी वाद का विचारण करते समय सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन सिविल न्यायालय में निहित हैं, अर्थात् :-
(क) किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(ख) दस्तावेजों या अन्य इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों को प्रकट और पेश करने की अपेक्षा करना;
(ग) शपथपत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना;
(घ) साक्षियों या दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना;
(ङ) अपने विनिश्चयों का पुनर्विलोकन करना;
(च) किसी आवेदन को व्यतिक्रम के लिये खारिज करना या एक पक्षीय विनिश्चय करना;
(छ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाए।
(3) अपील अधिकरण के समक्ष प्रत्येक कार्यवाही भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 193 और धारा 228 के अर्थान्तर्गत और धारा 196 के प्रयोजनार्थ न्यायिक कार्यवाही समझी जाएगी और अपील अधिकरण, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 195 और अध्याय 26 के सभी प्रयोजनों के लिए सिविल न्यायालय समझा जाएगा ।
Section 58 IT Act 2000 —Procedure and powers of the Appellate Tribunal —
(1) The 1 [Appellate Tribunal] shall not be bound by the procedure laid down by the Code of Civil Procedure, 1908 (5 of 1908) but shall be guided by the principles of natural justice and, subject to the other provisions of this Act and of any rules, the 1 [Appellate Tribunal] shall have powers to regulate its own procedure including the place at which it shall have its sittings. धारा 58 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000
(2) The 1 [Appellate Tribunal] shall have, for the purposes of discharging its functions under this Act, the same powers as are vested in a civil court under the Code of Civil Procedure, 1908 (5 of 1908), while trying a suit, in respect of the following matters, namely:– धारा 58 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000
(a) summoning and enforcing the attendance of any person and examining him on oath;
(b) requiring the discovery and production of documents or other electronic records;
(c) receiving evidence on affidavits;
(d) issuing commissions for the examination of witnesses or documents;
(e) reviewing its decisions;
(f) dismissing an application for default or deciding it ex parte;
(g) any other matter which may be prescribed.
(3) Every proceeding before the 1[Appellate Tribunal] shall be deemed to be a judicial proceeding within the meaning of sections 193 and 228, and for the purposes of section 196 of the Indian Penal Code (45 of 1860) and the 1 [Appellate Tribunal] shall be deemed to be a civil court for the purposes of section 195 and Chapter XXVI of the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974).