धारा 6 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम — संक्षिप्त विचारण करने की शक्ति —
(1) जहाँ विशेष न्यायाधीश धारा 3 की उपधारा (1) में विहित अपराध का विचारण किसी लोक सेवक जिसके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955. (1955 का 10) की धारा 12-क की उपधारा (1) में वर्णित विशेष आदेश अथवा उस धारा की उपधारा (2) के खंड (क) के उल्लंघन का आरोप है तो इस अधिनियम की धारा 5 अथवा दंड प्रक्रिया संहिता,1973 (1974 का 2) की धारा 260 में किसी बात के होते हुए भी विशेष न्यायाधीश उस अपराध का संक्षिप्त विचारण करेगा और संहिता की धारा 262 से धारा 265 (दोनों को सम्मिलित करते हुए) के प्रावधान जहाँ तक संभव होगा लागू होंगे
परन्तु यह कि इस धारा के अधीन संक्षिप्त विचारण दोषसिद्धि होने पर विशेष न्यायाधीश के लिए यह विधि संगत होगा कि वह एक वर्ष की अवधि तक का दंडादेश दे सकता है:
परन्तु यह और भी कि इस धारा के अधीन संक्षिप्त विचारण प्रारम्भ होने के पूर्व या उसके दौरान विशेष न्यायाधीश को ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकरण ऐसी प्रकृति का है कि एक वर्ष से अधिक अवधि के कारावास का दंडादेश आवश्यक होगा अथवा अन्य किसी कारण से उसका संक्षिप्त विचारण अपेक्षित नहीं है तो विशेष न्यायाधीश पक्षकारों की सुनवाई के पश्चात् आदेश अभिलिखित करेगा और तत्पश्चात् किसी साक्षी को जिसका कि परीक्षण किया जा चुका है पुनः बुला सकेगा और संहिता के प्रावधानों में विनिर्दिष्ट मजिस्ट्रेट द्वारा चारंट मामलों के विचारण की प्रक्रिया अपनाएगा या मामले का विचारण जारी रखेगा।
(2) इस अधिनियम अथवा दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में किसी बात के होते हुए भी, इस धारा के अधीन संक्षिप्त विचारण, जिसमें विशेष न्यायाधीश द्वारा एक मास से अनधिक की अवधि के कारावास और दो हजार रुपए से अनधिक जुमाने से दंड दिया गया है और उक्त संहिता की धारा 452 के अधीन इसके अतिरिक्त कोई आदेश दिया गया हो अथवा नहीं ऐसे दंड के विरुद्ध कोई अपील नहीं होगी किन्तु उपरोक्त वर्णित सीमा से अधिक दंडादेश पर अपील हो सकेगी।
Section 6 prevention of corruption act — Power to try summarily —
(1) Where a special Judge tries any offence specified in sub-section (1) of section 3, alleged to have been committed by a public servant in relation to the contravention of any special order referred to in sub-section (1) of section 12A of the Essential Commodities Act, 1955 (10 of 1955) or of an order referred to in clause (a) of sub-section (2) of that section, then, notwithstanding anything contained in sub-section (1) of section 5 of this Act or section 260 of the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974), the special Judge shall try the offence in a summary way, and the provisions of sections 262 to 265 (both inclusive) of the said Code shall, as far as may be, apply to such trial:
Provided that, in the case of any conviction in a summary trial under this section, it shall be lawful for the special Judge to pass a sentence of imprisonment for a term not exceeding one year:
Provided further that when at the commencement of, or in the course of, a summary trial under this section, it appears to the special Judge that the nature of the case is such that a sentence of imprisonment for a term exceeding one year may have to be passed or that it is, for any other reason, undesirable to try the case summarily, the special Judge shall, after hearing the parties, record an order to that effect and thereafter recall any witnesses who may have been examined and proceed to hear or re-hear the case in accordance with the procedure prescribed by the said Code for the trial of warrant cases by Magistrates.
(2) Notwithstanding anything to the contrary contained in this Act or in the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974), there shall be no appeal by a convicted person in any case tried summarily under this section in which the special Judge passes a sentence of imprisonment not exceeding one month, and of fine not exceeding two thousand rupees whether or not any order under section 452 of the said Code is made in addition to such sentence, but an appeal shall lie where any sentence in excess of the aforesaid limits is passed by the special Judge.