धारा 6 मध्यप्रदेश अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 — वादों या कार्यवाहियों का जिला न्यायाधीश के न्यायालय द्वारा संज्ञान-–
(1) धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन किये गए किसी आदेश की विधिमान्यता को प्रश्नगत करने वाले किसी वाद या कार्यवाही को ग्रहण करने की अधिकारिता जिला न्यायाधीश के न्यायालय को होगी और जिला न्यायाधीश के न्यायालय के अधीनस्थ किसी न्यायालय को नहीं होगी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन के किसी वाद या कार्यवाही में, जिला न्यायाधीश का न्यायालय रोक (स्टे) या व्यादेश देने वाला कोई आदेश एकपक्षीय रूप से नहीं करेगा ।