धारा 67B आईटी एक्ट 2000 – कामवासना भड़काने वाले क्रियाकलाप आदि में बालकों को चित्रित करने वाली सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या पारेषित करने के लिए दंड-
जो कोई,-
(क) किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में ऐसी कोई सामग्री प्रकाशित या पारेषित करेगा या प्रकाशित या पारेषित कराएगा, जिसमें कामवासना व्यक्त करने वाले कार्य या आचरण में लगाए गए बालकों को चित्रित किया जाता है; या
(ख) अश्लील या अभद्र या कामवासना भड़काने वाली रीति में बालकों का चित्रण करने वाली सामग्री का पाठ या अंकीय चित्र किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में तैयार करेगा, संगृहीत करेगा, प्राप्त करेगा, पढ़ेगा, डाउनलोड करेगा, उसे बढ़ावा देगा, आदान-प्रदान या वितरित करेगा; या
(ग) कामवासना भड़काने वाले क्रियाकलाप के लिए और उसके संबंध में या ऐसी रीति में बालकों को एक या अधिक बालकों के साथ आन-लाइन संबंध के लिए लगाएगा, प्रेरित या उत्प्रेरित करेगा, जो कंम्पयूटर संसाधन पर किसी युक्तियुक्त वयस्क को बुरी लग सकती है; या
(घ) आन-लाइन बालकों का दुरुपयोग किए जाने को सुकर बनाएगा; या
(ङ) बालकों के साथ कामवासना भड़काने वाले क्रियाकलाप के संबंध में अपने दुर्व्यवहार को किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में अभिलिखित करेगा,
तो वह प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो दस लाख रुपए तक का हो सकेगा, और दूसरी और पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी, जो दस लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा :
परन्तु धारा 67, धारा 67क और इस धारा के उपबंधों का विस्तार निम्नलिखित किसी पुस्तक, पर्चे, पत्र, लेख, रेखाचित्र, पेंटिंग, प्रदर्शन या इलेक्ट्रॉनिक रूप में आकृति पर नहीं है :-
(i) जिसका प्रकाशन इस आधार पर जनकल्याण के रूप में न्यायोचित साबित किया गया हो कि ऐसी पुस्तक, पर्चे, पत्र, लेख, रेखाचित्र, पेंटिंग, प्रदर्शन या आकृति विज्ञान, साहित्य या शिक्षण या सामान्य महत्व के अन्य उद्देश्यों के हित में है; या
(ii) जो सद्भावपूर्ण परस्पर धार्मिक प्रयोजनों के लिए रखी या प्रयुक्त की गई है ।
स्पष्टीकरण – इस धारा के प्रयोजनों के लिए, “बालक” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है ।
Section 67B IT Act 2000 – Punishment for publishing or transmitting of material depicting children in sexually explicit act, etc., in electronic form –
Whoever,–
(a) publishes or transmits or causes to be published or transmitted material in any electronic form which depicts children engaged in sexually explicit act or conduct; or
(b) creates text or digital images, collects, seeks, browses, downloads, advertises, promotes, exchanges or distributes material in any electronic form depicting children in obscene or indecent or sexually explicit manner; or धारा 67B आईटी एक्ट 2000
(c) cultivates, entices or induces children to online relationship with one or more children for and on sexually explicit act or in a manner that may offend a reasonable adult on the computer resource; or
(d) facilitates abusing children online, or
(e) records in any electronic form own abuse or that of others pertaining to sexually explicit act with children, धारा 67B आईटी एक्ट 2000
shall be punished on first conviction with imprisonment of either description for a term which may extend to five years and with fine which may extend to ten lakh rupees and in the event of second or subsequent conviction with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years and also with fine which may extend to ten lakh rupees:
Provided that provisions of section 67, section 67A and this section does not extend to any book, pamphlet, paper, writing, drawing, painting representation or figure in electronic form– धारा 67B आईटी एक्ट 2000
(i) the publication of which is proved to be justified as being for the public good on the ground that such book, pamphlet, paper, writing, drawing, painting representation or figure is the interest of science, literature, art or learning or other objects of general concern; or
(ii) which is kept or used for bona fide heritage or religious purposes.
Explanation--For the purposes of this section, “children” means a person who has not completed the age of 18 years.