धारा 71 आईटी एक्ट 2000 – दुर्व्यपदेशन के लिए शास्ति –
जो कोई, नियंत्रक या प्रमाणकर्ता प्राधिकारी के समक्ष, यथास्थिति, कोई अनुज्ञप्ति या [इलैक्ट्रानिक चिह्नक] प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कोई दुर्व्यपदेशन करता है या किसी तात्त्विक तथ्य को छिपाता है तो वह ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
Section 71 IT Act 2000 – Penalty for misrepresentation–
Whoever makes any misrepresentation to, or suppresses any material fact from the Controller or the Certifying Authority for obtaining any licence or 1 [electronic signature Certificate], as the case may be, shall be punished with imprisonment for a term which may extend to two years, or with fine which may extend to one lakh rupees, or with both.
1Subs. by Act 10 of 2009, s. 2, for “Digital Signature” (w.e.f. 27-10-2009).