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मोटर यान अधिनियम की धारा 68 | 68 MV Act in hindi

मोटर यान अधिनियम की धारा 68 — परिवहन प्राधिकरण —

(1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, राज्य के लिए एक राज्य परिवहन प्राधिकरण गठित करेगी जो उपधारा (3) में विनिर्दिष्ट शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का निर्वहन करेगा और इसी प्रकार प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण गठित करेगी जो प्रत्येक प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण के संबंध में,अधिसूचना में विनिर्दिष्ट क्षेत्रों में, (जिन्हें इस अध्याय में प्रदेश कहा गया है) सर्वत्र उन शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का निर्वहन करेगा जो ऐसे प्राधिकरणों को इस अध्याय के द्वारा या अधीन प्रदान किए गए हैं :

परन्तु संघ राज्यक्षेत्रों में प्रशासक किसी प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण का गठन करने से प्रविरत रह सकेगा।

(2) राज्य परिवहन प्राधिकरण या प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण ऐसे एक अध्यक्ष से, जिसे न्यायिक अनुभव या अपील या पुनरीक्षण प्राधिकारी या न्यायनिर्णयन प्राधिकारी के रूप में अनुभव प्राप्त है जो किसी विधि के अधीन कोई आदेश पारित करने में या विनिश्चय करने में सक्षम है तथा राज्य परिवहन प्राधिकरण की दशा में चार से अनधिक ऐसे अन्य व्यक्तियों से (चाहे वे शासकीय हों या न हों), तथा प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण की दशा में दो से अनधिक ऐसे अन्य व्यक्तियों से (चाहे वे शासकीय हों या न हों) जिन्हें राज्य सरकार नियुक्त करना ठीक समझे, मिलकर बनेगा किन्तु ऐसा कोई भी व्यक्ति, जिसका किसी परिवहन उपक्रम में कोई वित्तीय हित, चाहे स्वत्वधारी, कर्मचारी के रूप में या अन्यथा है, राज्य या प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण के सदस्य के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा, न ही बने रहने दिया जाएगा, और यदि कोई व्यक्ति, जो किसी ऐसे प्राधिकरण का सदस्य है, किसी परिवहन उपक्रम में कोई वित्तीय हित अर्जित कर लेता है, तो वह ऐसा हित अर्जित कर लेने के चार सप्ताह के अंदर ऐसे हित के अर्जन की लिखित सूचना राज्य सरकार को देगा तथा पद रिक्त कर देगा :

परन्तु इस उपधारा की किसी बात से, यथास्थिति, राज्य परिवहन प्राधिकरण या प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण के सदस्यों में से कोई ऐसे प्राधिकरण की बैठकों में उस दौरान जब अध्यक्ष अनुपस्थित है, सभापतित्व करने से इस बात के होते हुए भी निवारित, न होगा कि ऐसे सदस्य को न्यायिक अनुभव या अपील या पुनरीक्षण प्राधिकारी या ऐसे न्यायनिर्णयन प्राधिकारी के रूप में कोई अनुभव प्राप्त नहीं है जो किसी विधि के अधीन कोई आदेश पारित करने या विनिश्चय करने में सक्षम है :

परन्तु यह और कि राज्य सरकार–

(i) जहां वह ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है वहां किसी प्रदेश के लिए ऐसा राज्य परिवहन प्राधिकरण या प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण गठित कर सकेगी जिसमें केवल एक सदस्य हो जिसे न्यायिक अनुभव या अपील या पुनरीक्षण प्राधिकारी या ऐसे न्यायनिर्णयन प्राधिकारी के रूप में कोई अनुभव है जो किसी विधि के अधीन आदेश पारित करने या विनिश्चय करने में सक्षम है;  

(ii) इस निमित्त बनाए गए नियमों द्वारा, अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य की अनुपस्थिति में ऐसे प्राधिकरणों के कारबार के संव्यवहार के लिए उपबंध कर सकेगी तथा उन परिस्थितियों को,  जिनके अधीन, और वह रीति, जिससे वह कारबार किया जा सकेगा, विनिर्दिष्ट कर सकेगी :

परन्तु यह भी कि इस उपधारा की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि (परिवहन उपक्रम के प्रबंध या चलाने से प्रत्यक्षतः संबंधित पदधारी से भिन्न) कोई पदधारी ऐसे किसी प्राधिकरण के सदस्य के रूप में नियुक्त किए जाने या बने रहने से केवल इस बात के कारण विवर्जित होगा कि वह पदधारी जिस सरकार के नियोजन में है उस सरकार का कोई वित्तीय हित उस परिवहन उपक्रम में है या उस सरकार ने कोई वित्तीय हित उस परिवहन उपक्रम में अर्जित कर लिया है ।

(3) राज्य परिवहन प्राधिकरण और प्रत्येक प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण धारा 67 के अधीन निकाले गए किन्हीं निदेशों को प्रभावी करेगा तथा राज्य परिवहन प्राधिकरण ऐसे निदेशों के अधीन रहते हुए और इस अधिनियम के द्वारा या उसके अधीन अन्यथा उपबंधित को छोड़कर राज्य में सर्वत्र निम्नलिखित शक्तियों का प्रयोग तथा कृत्यों का निर्वहन करेगा, अर्थात् :-

(क) यदि राज्य का कोई प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण है तो उसके क्रियाकलापों और नीतियों का समन्वय और विनियमन ;

(ख) जहां कोई प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण नहीं है वहां ऐसे प्राधिकरण के कर्तव्यों का पालन करना और यदि वह ठीक समझता है या किसी प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण द्वारा ऐसी अपेक्षा की जाती है तो दो या अधिक प्रदेशों के लिए किसी सामान्य मार्ग की बाबत उन कर्तव्यों का पालन करना;

(ग) उन सब विवादों का निपटारा और उन सब मामलों का विनिश्चय करना जिन पर प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरणों के बीच मतभेद पैदा हों; और

(गक) मंजिली गाड़ियों को चलाने के लिए, सरकार द्वारा मार्गों का निश्चित किया जाना;

(घ) ऐसे अन्य कृत्यों का निर्वहन जो विहित किए जाएं ।

(4) उपधारा (3) में विनिर्दिष्ट शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का निर्वहन करने के प्रयोजन से राज्य परिवहन प्राधिकरण ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो विहित की जाएं, किसी प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण को निदेश दे सकेगा तथा प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों का निर्वहन करने में ऐसे निदेशों को प्रभावी करेगा और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करेगा ।

(5) यदि राज्य परिवहन प्राधिकरण और किसी प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण को धारा 96 के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया गया है तो वह अपनी ऐसी शक्तियों और कृत्यों को ऐसे प्राधिकरण या व्यक्ति को, ऐसे निर्बन्धनों, परिसीमाओं और शर्तों पर, जो उक्त नियमों में विहित की जाएं, प्रत्यायोजित कर सकेगा।


68 MV Act 1988 —  Transport Authorities —

(1) The State Government shall, by notification in the Official Gazette, constitute for the State a State Transport Authority to exercise and discharge the powers and functions specified in sub-section (3), and shall in like manner constitute Regional Transport Authorities to exercise and discharge throughout such areas (in this Chapter referred to as regions) as may be specified in the notification, in respect of each Regional Transport Authority; the powers and functions conferred by or under this Chapter on such Authorities :

Provided, that in the Union territories, the Administrator may abstain from constituting any Regional Transport Authority.

(2) A State Transport Authority or a Regional Transport Authority shall consist of a Chairman who has had judicial experience or experience as an appellate or a revisional authority or as an adjudicating authority competent to pass any order or take any decision under any law and in the case of a State Transport Authority, such other persons (whether officials or not), not being more than four and, in the case of a Regional Transport Authority, such other persons (whether officials or not), not being more than two, as the State Government may think fit to appoint; but no person who has any financial interest whether as proprietor, employee or otherwise in any transport undertaking shall be appointed, or continue to be, a member of a State or Regional Transport Authority, and, if any person, being a member of any such Authority acquires a financial interest in any transport undertaking, he shall within four weeks of so doing; give notice in writing to the State Government of the acquisition of such interest and shall vacate office :मोटर यान अधिनियम की धारा 68

Provided that nothing in this sub-section shall prevent any of the members of the State Transport Authority or a Regional Transport Authority, as the case may be to preside over a meeting of such Authority during the absence of the Chairman notwithstanding that such member does not possess judicial experience or experience as an appellate or a revisional authority or as an adjudicating authority competent to pass any order or take any decision under any law :

Provided further that the State Government may —

(i) where it considers necessary or expedient so to do, constitute the State Transport Authority or a Regional Transport Authority for any region so as to consist of only one member who shall be an official with judicial experience or experience as an appellate or a revisional authority or as an adjudicating authority competent to pass any order or take any decision under any law; मोटर यान अधिनियम की धारा 68

(ii) by rules made in this behalf, provide for the transaction of business of such authority in the absence of the Chairman or any other member and specify the circumstances under which, and the manner in which, such business could be so transacted : मोटर यान अधिनियम की धारा 68

Provided also that nothing in this sub-section shall be construed as debarring an official (other than an official connected directly with the management or operation of a transport undertaking) from being appointed or continuing as a member of any such authority merely by reason of the fact that the Government employing the official has, or acquires, any financial interest in a transport undertaking.

(3) The State Transport Authority and every Regional Transport Authority shall give effect to any directions issued under section 67 and the State Transport Authority shall, subject to such directions and save a otherwise provided by or under this Act, exercise and discharge throughout the State to the following powers and functions, namely :- मोटर यान अधिनियम की धारा 68

(a) to co-ordinate and regulate the activities and policies of the Regional Transport Authorities, if any, of the State;

(b) to perform the duties of a Regional Transport Authority where there is no such Authority and, if it thinks fit or if so required by a Regional Transport Authority, to perform those duties in respect of any route common to two or more regions;

(c) to settle all disputes and decide all matters on which differences of opinion arise between Regional Transport Authorities; and

(ca) Government to formulate routes for plying stage carriages;

(d) to discharge such other functions as may be prescribed.

(4) For the purpose of exercising and discharging the powers and functions specified in sub-section (3), a State Transport Authority may, subject to such conditions as may be prescribed, issue directions to any Regional Transport Authority, and the Regional Transport Authority shall, in the discharge of its functions under this Act, give effect to and be guided by such directions. मोटर यान अधिनियम की धारा 68

(5) The State Transport Authority and any Regional Transport Authority, if authorised in this behalf by rules made under section 96, may delegate such of its powers and functions to such authority or person subject to such restrictions, limitations and conditions as may be prescribed by the said rules.

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