सीआरपीसी की धारा 223 — किन व्यक्तियों पर संयुक्त रूप से आरोप लगाया जा सकेगा –
निम्नलिखित व्यक्तियों पर एक साथ आरोप लगाया जा सकेगा और उनका एक साथ विचारण किया जा सकेगा, अर्थात् :-
(क) वे व्यक्ति जिन पर एक ही संव्यवहार के अनुक्रम में किए गए एक ही अपराध का अभियोग है;
(ख) वे व्यक्ति जिन पर किसी अपराध का अभियोग है और वे व्यक्ति जिन पर ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण या प्रयत्न करने का अभियोग है;
(ग) वे व्यक्ति जिन पर बारह मास की अवधि के अन्दर संयुक्त रूप में उनके द्वारा किए गए धारा 219 के अर्थ में एक ही किस्म के एक से अधिक अपराधों का अभियोग है;
(घ) वे व्यक्ति जिन पर एक ही संव्यवहार के अनुक्रम में किए गए भिन्न अपराधों का अभियोग है;
(ङ) वे व्यक्ति जिन पर ऐसे अपराध का, जिसके अन्तर्गत चोरी, उद्दापन, छल या आपराधिक दुर्विनियोग भी है, अभियोग है और वे व्यक्ति, जिन पर ऐसी संपत्ति को, जिसका कब्जा प्रथम नामित व्यक्तियों द्वारा किए गए किसी ऐसे अपराध द्वारा अन्तरित किया जाना अभिकथित है, प्राप्त करने या रखे रखने या उसके व्ययन या छिपाने में सहायता करने का या किसी ऐसे अंतिम नामित अपराध का दुष्प्रेरण या प्रयत्न करने का अभियोग है;
(च) वे व्यक्ति जिन पर ऐसी चुराई हुई संपत्ति के बारे में, जिसका कब्जा एक ही अपराध द्वारा अन्तरित किया गया है, भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 411 और धारा 414 के, या उन धाराओं में से किसी के अधीन अपराधों का अभियोग है;
(छ) वे व्यक्ति जिन पर भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) के अध्याय 12 के अधीन कूटकृत सिक्के के संबंध में किसी अपराध का अभियोग है और वे व्यक्ति जिन पर उसी सिक्के के संबंध में उक्त अध्याय के अधीन किसी भी अन्य अपराध का या किसी ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण या प्रयत्न करने का अभियोग है; और इस अध्याय के पूर्ववर्ती भाग के उपबंध सब ऐसे आरोपों को यथाशक्य लागू होगे :
परन्तु जहाँ अनेक व्यक्तियों पर पृथक् अपराधों का आरोप लगाया जाता है और वे व्यक्ति इस धारा में विनिर्दिष्ट कोटियों में से किसी में नहीं आते हैं वहाँ [मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय] ऐसे सब व्यक्तियों का विचारण एक साथ कर सकता है यदि ऐसे व्यक्ति लिखित आवेदन द्वारा ऐसा चाहते हैं और यदि मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय का समाधान हो जाता है कि उससे ऐसे व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और ऐसा करना समीचीन है।
223 CrPC in hindi — What persons may be charged jointly –
The following persons may be charged and tried together, namely :
(a) persons accused of the same offence committed in the course of the same transaction;
(b) persons accused of an offence and persons accused of abetment of, or attempt to commit, such offence;
(c) persons accused of more than one offence of the same kind, within the meaning of section 219 committed by them jointly within the period of twelve months;
(d) persons accused of different offences committed in the course of the same transaction;
(e) persons accused of an offence which includes theft, extortion, cheating, or criminal misappropriation and persons accused of receiving or retaining, or assisting in the disposal or concealment of, property possession of which is alleged to have been transferred by any such offence committed by the first- named persons, or of abetment of or attempting to commit any such last-named offence; सीआरपीसी की धारा 223
(f) persons accused of offences under sections 411 and 414 of the Indian Penal Code (45 of 1860) or either of those sections in respect of stolen property the possession of which has been transferred by one offence;
(g) persons accused of any offence under Chapter XII of the Indian Penal Code (45 of 1860) relating to counterfeit coin and persons accused of any other offence under the said Chapter relating to the same coin, or of abetment of or attempting to commit any such offence; and the provisions contained in the former part of this Chapter shall, so far as may be, apply to all such charges : सीआरपीसी की धारा 223
Provided that where a number of persons are charged with separate offences and such persons do not fall within any of the categories specified in this section, the Magistrate or Court of Session may, if such persons by an application in writing, so desire and if he or it is satisfied that such persons would not be prejudicially affected thereby, and it is expedient so to do, try all such persons together.