मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 115 : – यानों का उपयोग निर्बंधित करने की शक्ति –
मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 194 :- अनुज्ञेय भार से अधिक भार वाले यान को चलाना —
[(1) जो कोई धारा 113 या धारा 114 या धारा 115 के उपबंधों के उल्लंघन में किसी मोटर यान को चलाएगा अथवा मोटर यान का उपयोग कराएगा या किए जाने देगा, वह [बीस हजार रुपए के न्यूनतम जुर्माने से और लदान सीमा से अधिक भार को उतरवाने के लिए प्रभारों का संदाय करने के दायित्व सहित ऐसे अधिक भार के लिए दो हजार रुपए प्रति टन के हिसाब से अतिरिक्त रकम से], दण्डनीय होगा] :
[परंतु ऐसा मोटर यान ऐसे अधिक भार के हटाए जाने से या ऐसे मोटर यान के नियंत्रण में व्यक्ति द्वारा हटवाए जाने या हटवाए जाने के लिए अनुज्ञात किए जाने से पूर्व चलने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा ।]
[(1क) जो कोई किसी मोटर यान को उस समय चलाता है या मोटर यान को चलवाता है या चलवाने के लिए अनुज्ञात करता है जब ऐसा मोटर यान ऐसी रीति में लदा हुआ है कि भार या उसका कोई भाग या कोई चीज शरीर की साइड से परे या अनुज्ञेय सीमा से परे सामने या पीछे की ओर या ऊंचाई में पार्श्विक रूप से बाहर निकल जाती है ऐसे जुर्माने से दंडनीय होगा जो ऐसे भार के उतराई के लिए प्रभार संदाय करने के दायित्व सहित बीस हजार रुपए से अधिक नहीं होगा :
परंतु ऐसा मोटर यान ऐसे भार को ऐसी रीति में व्यवस्थित किए जाने से पूर्व चलने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा कि शरीर की साइड से परे या अनुज्ञेय सीमा से परे सामने या पीछे की ओर या ऊंचाई में पार्श्विक रूप से बाहर नहीं निकला हुआ है:
परंतु यह और कि इस उपधारा की कोई बात उस समय लागू नहीं होगी जब ऐसे मोटर यान को विशिष्ट भार के वहन को अनुज्ञात करते हुए राज्य सरकार या केन्द्र सरकार द्वारा इस निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा छूट दे दी गई है
(2) यान का कोई ड्राइवर जो रुकने से और धारा 114 के अधीन इस निमित्त प्राधिकृत अधिकारी द्वारा ऐसा करने के निदेश दिए जाने के पश्चात् यान का भार कराने से इंकार करता है अथवा भार कराने से पूर्व माल को हटाता है या हटवाता है, वह [चालीस हजार रुपए] के जुर्माने से, दंडनीय होगा ।