धारा 11 महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम — परिवाद के बारे में जाँच —
(1) धारा 10 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति, जहाँ प्रत्यर्थी कोई कर्मचारी है, वहाँ प्रत्यर्थी को लागू सेवा नियमों के उपबंधों के अनुसरण में परिवाद के बारे में जाँच करने की कार्यवाही करेगी और जहाँ ऐसे कोई नियम विद्यमान नहीं हैं तो ऐसी रीति में जो कि विहित की जाए या किसी घरेलू कर्मकार की दशा में, स्थानीय समिति, यदि प्रथम दृष्ट्या मामला विद्यमान हो तो भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 509 और उक्त संहिता के यथा प्रयोज्य अन्य सुसंगत उपबंधों के अधीन मामला पंजीबद्ध करने के लिए सात दिनों की कालावधि के भीतर पुलिस को परिवाद अग्रेषित करेगी:
परन्तु जहाँ व्यथित महिला, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति को यह सूचित करती है कि धारा 10 की उपधारा (2) के अधीन किए गए समाधान के किसी निबंधन और शर्त का प्रत्यर्थी द्वारा अनुपालन नहीं किया गया है तो आंतरिक समिति या स्थानीय समिति परिवाद के बारे में जाँच करने के लिए कार्यवाही करेगी या यथास्थिति, पुलिस को परिवाद अग्रेषित करेगी :
परन्तु यह और कि जहाँ दोनों पक्षकार कर्मचारी है तो पक्षकारों को, जाँच के दौरान, सुनवाई का अवसर दिया जाएगा और निष्कर्षो की एक प्रति दोनों पक्षकारों को, समिति के समक्ष निष्कषों के विरुद्ध अभ्यावेदन देने हेतु समर्थ बनाने के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।
(2) भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 509 में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, न्यायालय, जबकि प्रत्यर्थी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया है, धारा 15 के उपबन्धों को ध्यान में रखते हुए, प्रत्यर्थी द्वारा व्यथित महिला को ऐसी राशि के आदेश दे सकेगा जो वह उचित समझे।
(3) उपधारा (1) के अधीन जाँच करने के प्रयोजन के लिए, यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति को वही शक्तियां होंगी, जो निम्नलिखित मामलों के संबंध में किसी वाद का विचारण करते समय सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन किसी सिविल न्यायालय में निहित हैं –
(क) किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(ख) किन्हीं दस्तावेजों के प्रकटीकरण और पेश किए जाने की अपेक्षा करना;
(ग) ऐसा कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाए।
(4) उपधारा (1) के अधीन जाँच नब्बे दिन की अवधि के भीतर पूरी की जाएगी।
11 Sexual Harassment of Women at Workplace Act – Inquiry into complaint-
(1) Subject to the provisions of section 10, the Internal Committee or the Local Committee, as the case may be, shall, where the respondent is an employee, proceed to make inquiry into the complaint in accordance with the provisions of the service rules applicable to the respondent and where no such rules exist, in such manner as may be prescribed or in case of a domestic worker, the Local Committee shall, if prima facie case exist, forward the complaint to the police, within a period of seven days for registering the case under section 509 of the Indian Penal Code (45 of 1860), and any other relevant provisions of the said Code where applicable:
Provided that where the aggrieved woman informs the Internal Committee or the Local Committee, as the case may be, that any term or condition of the settlement arrived at under sub-section (2) of section 10 has not been complied with by the respondent, the Internal Committee or the Local Committee shall proceed to make an inquiry into the complaint or, as the case may be, forward the complaint to the police:
Provided further that where both the parties are employees, the parties shall, during the course of inquiry, be given an opportunity of being heard and a copy of the findings shall be made available to both the parties enabling them to make representation against the findings before the Committee.
(2) Notwithstanding anything contained in section 509 of the Indian Penal Code (45 of 1860), the court may, when the respondent is convicted of the offence, order payment of such sums as it may consider appropriate, to the aggrieved woman by the respondent, having regard to the provisions of section 15.
(3) For the purpose of making an inquiry under sub-section (1), the Internal Committee or the Local Committee, as the case may be, shall have the same powers as are vested in a civil court the Code of Civil Procedure, 1908 (5 of 1908) when trying a suit in respect of the following matters, namely:—
(a) summoning and enforcing the attendance of any person and examining him on oath;
(b) requiring the discovery and production of documents; and
(c) any other matter which may be prescribed.
(4) The inquiry under sub-section (1) shall be completed within a period of ninety days.