धारा 21 एससी एसटी एक्ट – अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का सरकार का कर्तव्य —
(1) राज्य सरकार, ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए, जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त बनाए, इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ऐसे उपाय करेगी जो आवश्यक हों।
(2) विशिष्टतया, और पूर्वगामी उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अंतर्गत निम्नलिखित हो सकेगा :
(i) ऐसे व्यक्तियों को, जिन पर अत्याचार हुआ है, न्याय प्राप्त करने में समर्थ बनाने के लिए पर्याप्त सुविधाओं की, जिनके अंतर्गत विधिक सहायता भी है, व्यवस्था;
(ii) इस अधिनियम के अधीन अपराध के अन्वेषण और विचारण के दौरान साक्षियों, जिनके अन्तर्गत अत्याचार से पीड़ित व्यक्ति भी हैं, यात्रा और भरण-पोषण के व्यय की व्यवस्थाः
(iii) अत्याचारों से पीड़ित व्यक्तियों के आर्थिक और सामाजिक पुनरुद्धार की व्यवस्था;
(iv) इस अधिनियम के उपबंधों के उल्लंघन के लिए अभियोजन प्रारम्भ करने या उनका पर्यवेक्षण करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति ;
(v) ऐसे समुचित स्तरों पर, जो राज्य सरकार ऐसे उपायों की रचना या उनके क्रियान्वयन के लिए उस सरकार की सहायता करने के लिए ठीक समझे, समितियों की स्थापना करना ;
(vi) इस अधिनियम के उपबंधों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए उपायों का सुझाव देने की दृष्टि से इस अधिनियम के उपबंधों के कार्यकरण का समय-समय पर सर्वेक्षण करने की व्यवस्था;
(vii ) उन क्षेत्रो की पहचान करना जहाँ अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर अत्याचार होने की संभावना है और ऐसे उपाय करना जिससे कि ऐसे सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
(3) केन्द्रीय सरकार, ऐसे उपाय करेगी जो उपधारा (1) के अधीन राज्य सहकारों द्वारा किए गए उपायों में समन्वय करने के लिए यावश्यक हो।
(4) केन्द्रीय सरकार, प्रत्येक वर्ष, संसद् के प्रत्येक सदन के पटल पर इस धारा के उपबंधों के अनुसरण में स्वयं उसके द्वारा और राज्य सरकारों द्वारा किए गए उपायों के संबंध में एक रिपोर्ट रखेगी।
Section 21 SC ST Act – Duty of Government to ensure effective implementation of the Act –
(1) Subject to such rules as the Central Government may make in this behalf, the State Government shall take such measures as may be necessary for the effective implementation of this Act.
(2) In particular, and without prejudice to the generality of the foregoing provisions, such measures may include,— (धारा 21 एससी एसटी एक्ट)
(i) the provision for adequate facilities, including legal aid, to the persons subjected to atrocities to enable them to avail themselves of justice;
(ii) the provision for travelling and maintenance expenses to witnesses, including the victims of atrocities, during investigation and trial of offences under this Act;
(iii) the provision for the economic and social rehabilitation of the victims of the atrocities; (धारा 21 एससी एसटी एक्ट)
(iv) the appointment of officers for initiating or exercising supervision over prosecutions for the contravention of the provisions of this Act;
(v) the setting up of committees at such appropriate levels as the State Government may think fit to assist that Government in formulation or implementation of such measures;
(vi) provision for a periodic survey of the working of the provisions of this Act with a view to suggesting measures for the better implementation of the provisions of this Act;
(vii) the identification of the areas where the members of the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes are likely to be subjected to atrocities and adoption of such measures so as to ensure safety for such members. (धारा 21 एससी एसटी एक्ट)
(3) The Central Government shall take such steps as may be necessary to co-ordinate the measures taken by the State Governments under sub-section (1).
(4) The Central Government shall, every year, place on the table of each House of Parliament a report on the measures taken by itself and by the State Governments in pursuance of the provisions of this section.