धारा 3 आईटी एक्ट 2000 – इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख का अधिप्रमाणीकरण-
(1) इस धारा के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कोई उपयोगकर्ता, किसी इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को अपने अंकीय चिह्नक लगाकर अधिप्रमाणित कर सकेगा ।
(2) इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख का अधिप्रमाणन असममित गूढ़ प्रणाली और द्रुतान्वेषण फलन का उपयोग करके किया जाएगा जो प्रारंभिक इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में आवृत्त और रूपान्तर करता है ।
स्पष्टीकरण- इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए,” द्रुतान्वेषण फलन” से एल्गोरिथ्म मैपिंग या विटस की एक श्रृंखला का दूसरी श्रृंखला में रूपांतरण अभिप्रेत है, जो कि सामान्यतः द्रुतान्वेषण परिणाम के नाम से ज्ञात सेट से छोटी हैं और ऐसी हैं जिसमें कोई इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख हर समय वही द्रुतान्वेषण परिणाम उत्पन्न करता है जब उसके निवेश के रूप में उसी इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के साथ एल्गोरिथ्म को निष्पादित किया जाता है तो वह अभिकलनीय रूप से निम्नलिखित के संबंध में असंभव हो जाता है-
(क) ऐल्गोरिथ्म द्वारा उत्पादित द्रुतान्वेषण परिणाम से मूल इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को व्युत्पन्न या पुनः संरचित करना;
(ख) दो इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों का ऐल्गोरिथ्म का उपयोग करके वैसा ही द्रुतान्वेषण परिणाम उत्पादित करना ।
(3) कोई भी व्यक्ति, उपयोगकर्ता की लोक कुंजी का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को सत्यापित कर सकता है ।
(4) प्राइवेट कुंजी और लोक कुंजी उपयोगकर्ता के लिए अद्वितीय हैं और वे फलनकारी कुंजी युग्म का निर्माण करती हैं ।
Section 3 IT Act 2000 – 1[Authentication of electronic records.—
(1) Subject to the provisions of this section any subscriber may authenticate an electronic record by affixing his digital signature.
(2) The authentication of the electronic record shall be effected by the use of asymmetric crypto system and hash function which envelop and transform the initial electronic record into another electronic record.
Explanation.–For the purposes of this sub-section, “hash function” means an algorithm mapping or translation of one sequence of bits into another, generally smaller, set known as –hash result” such that an electronic record yields the same hash result every time the algorithm is executed with the same electronic record as its input making it computationally infeasible– धारा 3 आईटी एक्ट 2000
(a) to derive or reconstruct the original electronic record from the hash result produced by the algorithm;
(b) that two electronic records can produce the same hash result using the algorithm.
(3) Any person by the use of a public key of the subscriber can verify the electronic record.
(4) The private key and the public key are unique to the subscriber and constitute a functioning key pair.]
1. Subs. by s. 5, ibid., for the heading “DIGITAL SIGNATURE” (w.e.f. 27-10-2009).