धारा 80 किशोर न्याय अधिनियम 2015 – विहित प्रक्रियाओं का अनुसरण किए बिना दत्तकग्रहण करने के लिए दांडिक उपाय –
यदि कोई व्यक्ति या संगठन किसी अनाथ, परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक को इस अधिनियम में यथाउपबंधित उपबंधों या प्रक्रियाओं का अनुसरण किए बिना दत्तकग्रहण करने के प्रयोजन के लिए प्रस्थापना करता है, उसे देता है या प्राप्त करता है, तो ऐसा व्यक्ति या संगठन, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या एक लाख रुपए के जुर्माने से या दोनों से, दंडनीय होगा :
परंतु ऐसे मामले में जहां अपराध किसी मान्यताप्राप्त दत्तकग्रहण अभिकरण द्वारा किया जाता है,
दत्तकग्रहण अभिकरण के भारसाधक और दिन-प्रतिदिन कार्यों के संचालन के लिए उत्तरदायी व्यक्तियों पर
अधिनिर्णीत उपरोक्त दंड के अतिरिक्त, ऐसे अभिकरण का धारा 41 के अधीन रजिस्ट्रीकरण और धारा 65
के अधीन उसकी मान्यता को भी कम से कम एक वर्ष की अवधि के लिए वापस ले लिया जाएगा ।
Section 80 Juvenile Justice Act 2015 – Punitive measures for adoption without following prescribed procedures–
If any person or organisation offers or gives or receives, any orphan, abandoned or surrendered child, for the purpose of adoption without following the provisions or procedures as provided in this Act, such person or organisation shall be punishable with imprisonment of either description for a term which may extend upto three years, or with fine of one lakh rupees, or with both:
Provided in case where the offence is committed by a recognised adoption agency, in addition to the above punishment awarded to the persons in-charge of, and responsible for the conduct of the day-to-day affairs of the adoption agency, the registration of such agency under section 41 and its recognition under section 65 shall also be withdrawn for a minimum period of one year.