सीआरपीसी की धारा 190 :- मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान –
(1) इस अध्याय के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट और उपधारा (2) के अधीन विशेषतया सशक्त किया गया कोई द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट, किसी भी अपराध का संज्ञान निम्नलिखित दशाओं में कर सकता है :-
(क) उन तथ्यों का, जिनसे ऐसा अपराध बनता है परिवाद प्राप्त होने पर;
(ख) ऐसे तथ्यों के बारे में पुलिस रिपोर्ट पर;
(ग) पुलिस अधिकारी से भिन्न किसी व्यक्ति से प्राप्त इस इत्तिला पर या स्वयं अपनी इस जानकारी पर कि ऐसा अपराध किया गया है।
(2) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट को ऐसे अपराधों का, जिनकी जांच या विचारण करना उसकी क्षमता के अन्दर है, उपधारा (1) के अधीन संज्ञान करने के लिए सशक्त कर सकता हैं।
190 CrPC in hindi :- Cognizance of offences by Magistrates –
(1) Subject to the provisions of this Chapter, any Magistrate of the first class and any Magistrate of the second class specially empowered in this behalf under sub-section (2), may take cognizance of any offence—
(a) upon receiving a complaint of facts which constitute such offence;
(b) upon a police report of such facts;
(c) upon information received from any person other than a police officer, or upon his own knowledge, that such offence has been committed.
(2) The Chief Judicial Magistrate may empower any Magistrate of the second class to take cognizance under sub-section (1) of such offences as are within his competence to inquire into or try.