धारा 8 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम — किसी लोक सेवक को रिश्वत देने से संबंधित अपराध —
(1) ऐसा कोई व्यक्ति जो, निम्नलिखित आशय से किसी अन्य व्यक्ति या अन्य व्यक्तियों को कोई असम्यक लाभ देता है या देने का वचन करता है—
(i) किसी लोक सेवक को कोई लोक कर्तव्य अनुचित रूप से करने हेतु प्रेरित करने के लिए; या
(ii) किसी लोक सेवक को इस प्रकार किसी लोक कर्तव्य को अनुचित रूप से किए जाने के लिए इनाम देने हेतु,तो यह कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा:
परंतु इस धारा के उपबंध वहां लागू नहीं होंगे जहां कोई व्यक्ति ऐसा असम्यक लाभ देने के लिए विवश किया जाता है:
परंतु यह और कि इस प्रकार विवश व्यक्ति ऐसा असम्यक् लाभ देने की तारीख से सात दिन कीअवधि के भीतर इस मामले की रिपोर्ट विधि प्रवर्तन प्राधिकारी या अन्वेषण अभिकरण को देगा :
परंतु यह भी कि जहां इस धारा के अधीन अपराध किसी वाणिज्यिक संगठन द्वारा किया गया है वहां ऐसा वाणिज्यिक संगठन जुर्माने से दंडनीय होगा।
दृष्टांत.– कोई व्यक्ति ‘पी’, लोक सेवक ‘एस’ को, यह सुनिश्चित करने के लिए दस हजार की रकम देता है कि सभी बोली लगाने वालों में से उसे अनुशति प्रदान की जाए। ‘पी’ इस उपधारा के अधीन
अपराध का दोषी है
स्पष्टीकरण— इस बात का कोई महत्व नहीं होगा कि वह व्यक्ति, जिसे असम्यक् लाभ दिया गया है या देने का वचन दिया गया है वहीं व्यक्ति है जिस व्यक्ति ने संबंधित लोक कर्तव्य करना है या किया है और इस बात का भी कोई महत्व नहीं होगा कि ऐसा असम्यक् लाभ उस व्यक्ति को सीधे या किसी अन्य पक्षकार के माध्यम से पहुंचाया जाता है या पहुंचाने का वचन दिया जाता है।
(2) उपधारा (1) की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी, यदि इस व्यक्ति ने किसी विधि का प्रवर्तन करने वाले प्राधिकारी या अन्वेषण अभिकरण को सूचना देने के पश्चात् विधि का प्रवर्तन करने वाले ऐसे प्राधिकारी या अन्वेषण अभिकरण को पश्चातवर्ती के विरुद्ध अभिकथित अपराध से उसके अन्वेषण में सहायता करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को कोई असम्यक लाभ देता है या देने का वचन देता है ।
Section 8 prevention of corruption act — Offence relating to bribing of a public servant —
-(1) Any person who gives or promises to give an undue advantage to another person or persons, with intention–
(i) to induce a public servant to perform improperly a public duty; or
(ii) to reward such public servant for the improper performance of public duty,
shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to seven years or with fine or with both:
Provided that the provisions of this section shall not apply where a person is compelled to give such undue advantage:
Provided further that the person so compelled shall report the matter to the law enforcement authority or investigating agency within a period of seven days from the date of giving such undue advantage:
Provided also that when the offence under this section has been committeed by commercial organisation, such commercial organisation shall be punishable with fine.
Illustration.–A person, ‘P’ gives a public servant, ‘S’ an amount of ten thousand rupees to ensure that he is granted a license, over all the other bidders. ‘P’ is guilty of an offence under this sub-section.
Explanation.–It shall be immaterial whether the person to whom an undue advantage is given or promised to be given is the same person as the person who is to perform, or has performed, the public duty concerned, and, it shall also be immaterial whether such undue advantage is given or promised to be given by the person directly or through a third party.
(2) Nothing in sub-section (1) shall apply to a person, if that person, after informing a law enforcement authority or investigating agency, gives or promises to give any undue advantage to another person in order to assist such law enforcement authority or investigating agency in its investigation of the offence alleged against the later.]