धारा 20 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम — जहां लोक सेवक असम्यक् लाभ प्रतिगृहीत करता है वहाँ उपधारणा.–
जहां धारा 7 के अधीन या धारा 11 के अधीन दंडनीय किसी अपराध के विचारण में यह साबित कर दिया जाता है कि किसी अपराध के अभियुक्त लोकसेवक ने किसी व्यक्ति से कोई असम्यक लाभ अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए प्रतिगृहीत या अभिप्राप्त किया है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न किया है, वहां जब तक प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए यह उपधारणा की जाएगी कि उसने, यथास्थिति या तो स्वयं या किसी अन्य लोकसेवक के द्वारा किसी लोक कर्तव्य को अनुचित रूप से या बेइमानी से निष्पादित करने या निष्पादित करवाने के लिए धारा 7 के अधीन हेतु या इनाम के रूप में उस असम्यक् लाभ को, बिना किसी प्रतिफल के या किसी ऐसे प्रतिफल के लिए, जिसके बारे में वह यह जानता है कि वह धारा 11 के अधीन अपर्याप्त है, प्रतिगृहीत या अभिप्राप्त किया है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न किया है ।
Section 20 prevention of corruption act — Presumption where public servant accepts any undue advantage.–
Where, in any trial of an offence punishable under section 7 or under section 11, it is proved that a public servant accused of an offence has accepted or obtained or attempted to obtain for himself, or for any other person, any undue advantage from any person, it shall be presumed, unless the contrary is proved, that he accepted or obtained or attempted to obtain that undue advantage, as a motive or reward under section 7 for performing or to cause performance of a public duty improperly or dishonestly either by himself or by another public servant or, as the case may be, any undue advantage without consideration or for a consideration which he knows to be inadequate under section 11.]