धारा 26 किशोर न्याय अधिनियम 2015 — विधि का उल्लंघन करने वाले भगोड़े बालक की बाबत उपबंध–
( 1 ) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई पुलिस अधिकारी, विधि का उल्लंघन करने वाले ऐसे बालक का प्रभार ले सकेगा जो विशेष गृह या संप्रेक्षण गृह या सुरक्षित स्थान या किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था की देखरेख से, जिसके अधीन उस बालक को इस अधिनियम के अधीन रखा गया था, भगोड़ा हो गया है ।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट बालक को, चौबीस घंटे के भीतर अधिमानतः उस बोर्ड के समक्ष, जिसने उस बालक की बाबत मूल आदेश पारित किया था, यदि संभव हो, या उस निकटतम बोर्ड के समक्ष जहां बालक पाया जाता है पेश किया जाएगा ।
(3) बोर्ड, बालक के निकल भागने के कारणों को सुनिश्चित करेगा और बालक को उस संस्था या उस व्यक्ति को, जिसकी अभिरक्षा से बालक भाग निकला था, या वैसे ही किसी अन्य स्थान या व्यक्ति को, जिसे बोर्ड ठीक समझे वापस भेजे जाने के लिए समुचित आदेश पारित करेगा :
परंतु बोर्ड किन्हीं विशेष उपायों की बाबत, जो बालक के सर्वोत्तम हित में आवश्यक समझे जाएं, अतिरिक्त निर्देश भी दे सकेगा ।
(4) ऐसे बालक के बारे में कोई अतिरिक्त कार्यवाही संस्थित नहीं की जाएगी ।
Section 26 Juvenile Justice Act 2015 — Provision with respect of run away child in conflict with law —
(1) Notwithstanding anything to the contrary contained in any other law for the time being in force, any police officer may take charge of a child in conflict with law who has run away from a special home or an observation home or a place of safety or from the care of a person or institution under whom the child was placed under this Act.
(2) The child referred to in sub-section (1) shall be produced, within twenty-four hours, preferably before the Board which passed the original order in respect of that child, if possible, or to the nearest Board where the child is found.
(3) The Board shall ascertain the reasons for the child having run away and pass appropriate orders for the child to be sent back either to the institution or person from whose custody the child had run away or any other similar place or person, as the Board may deem fit: धारा 26 किशोर न्याय अधिनियम 2015
Provided that the Board may also give additional directions regarding any special steps that may be deemed necessary, for the best interest of the child.
(4) No additional proceeding shall be instituted in respect of such child.