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धारा 36 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 | धारा 36 आईटी एक्ट 2000 | Section 36 IT Act 2000 in hindi

धारा 36 सूचना प्रौधोगिकी अधिनियम 2000 — अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र जारी करने पर व्यपदेशन-

अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र जारी करते समय प्रमाणकर्ता प्राधिकारी यह प्रमाणित करेगा कि-

(क) उसने इस अधिनियम, उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों का अनुपालन किया है;

(ख) उसने अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र प्रकाशित किया है या उसे उस पर विश्वास करने वाले व्यक्ति को अन्यथा उपलब्ध कराया है और उपयोगकर्ता ने उसे स्वीकार किया है;

(ग) उपयोगकर्ता के पास अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में सूचीबद्ध लोककुंजी के अनुरूप प्राइवेट कुंजी है;  

(गक) उपयोगकर्ता कोई प्राइवेट कुंजी धारण करता है, जो अंकीय चिह्नक का सृजन करने में सक्षम है;

(गख) प्रमाणपत्र में सूचीबद्ध की जाने वाली लोक कुंजी के उपयोगकर्ता द्वारा धारित प्राइवेट कुंजी द्वारा लगाए गए अंकीय चिह्नक का सत्यापन करने के लिए उपयोग किया जा सकता है;

(घ) उपयोगकर्ता की लोककुंजी और प्राइवेट कुंजी मिलकर एक कार्यकारी कुंजी युग्म बनाती हैं;

(ङ) अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में अंतर्विष्ट सूचना सही है; और 

(च) उसके पास किसी ऐसे सारवान् तथ्य की जानकारी नहीं है जिसे यदि अंकीय चिह्नक प्रमाणपत्र में सम्मिलित किया गया होता तो उसका खंड (क) से खंड (घ) में किये गए व्यपदेशनों की विश्वसनीयता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता ।


Section 36 IT Act 2000 — Representations upon issuance of Digital signature Certificate

A Certifying Authority while issuing a Digital Signature Certificate shall certify that–


(a) it has complied with the provisions of this Act and the rules and regulations made thereunder;


(b) it has published the Digital Signature Certificate or otherwise made it available to such person relying on it and the subscriber has accepted it;


(c) the subscriber holds the private key corresponding to the public key, listed in the Digital Signature Certificate;


1 [(ca) the subscriber holds a private key which is capable of creating a digital signature;


(cb) the public key to be listed in the certificate can be used to verify a digital signature affixed by the private key held by the subscriber;]


(d) the subscriber’s public key and private key constitute a functioning key pair;


(e) the information contained in the Digital Signature Certificate is accurate; and


(f) it has no knowledge of any material fact, which if it had been included in the Digital Signature Certificate would adversely affect the reliability of the representations in clauses (a) to (d).

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