IPC की धारा 219 — न्यायिक कार्यवाही में विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट आदि का लोक-सेवक द्वारा भ्रष्टतापूर्वक किया जाना –
जो कोई लोक-सेवक होते हुए, न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में कोई रिपोर्ट, आदेश, अधिमत या विनिश्चय जिसका विधि के प्रतिकूल होना वह जानता हो, भ्रष्टतापूर्वक या विद्वेषपूर्वक देगा, या सुनाएगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 219 — Public servant in judicial proceeding corruptly making report, etc., contrary to law –
Whoever, being a public servant, corruptly or maliciously makes or pronounces in any stage of a judicial proceeding, any report, order, verdict, or decision which he knows to be contrary to law, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, or with fine, or with both.