IPC की धारा 222 — दण्डादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ति को पकड़ने के लिए आबद्ध लोक-सेवक द्वारा पकड़ने का साशय लोप –
जो कोई ऐसा लोक-सेवक होते हुए, जो किसी अपराध के लिए न्यायालय के दण्डादेश के अधीन या अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए किसी व्यक्ति को पकड़ने या परिरोध में रखने के लिए ऐसे लोक-सेवक के नाते वैध रूप से आबद्ध है, ऐसे व्यक्ति को पकड़ने का साशय लोप करेगा, या ऐसे परिरोध में से साशय ऐसे व्यक्ति का निकल भागना सहन करेगा या ऐसे व्यक्ति के निकल भागने में या निकल भागने के लिए प्रयत्न करने में साशय मदद करेगा, वह निम्नलिखित रूप से दण्डित किया जाएगा, अर्थात् :-
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था, वह मृत्यु दण्डादेश के अधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या रहित आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी; अथवा
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था वह न्यायालय के दण्डादेश से, या ऐसे दण्डादेश से लघुकरण के आधार पर आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास के अध्यधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या रहित, दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा
यदि परिरुद्ध व्यक्ति या जो व्यक्ति पकड़ा जाना चाहिए था वह न्यायालय के दण्डादेश से दस वर्ष से कम की अवधि के लिए कारावास के अध्यधीन हो या यदि वह व्यक्ति अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किया गया हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय,और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है | यदि आजीवन कारावास या 10 वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दण्डादेश के अधीन है , तो यह संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय,और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| यदि 10 वर्ष से कम के लिये कारावास के दण्डादेश के अधीन है या अभिरक्षा में रखे जाने के लिये विधिपूर्वक सुपुर्द किया गया है, तो यह संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय,और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है | |
IPC Section 222 — Intentional omission to apprehend on the part of public servant bound to apprehend person under sentence or lawfully committed –
Whoever, being a public servant, legally bound as such public servant to apprehend or to keep in confinement any person under sentence of a Court of Justice for any offence or lawfully committed to custody, intentionally omits to apprehend such person, or intentionally suffers such person to escape or intentionally aids such person in escaping or attempting to escape from such confinement, shall be punished as follows, that is to say :-
with imprisonment for life or with imprisonment of either description for a term which may extend to fourteen years, with or without fine, if the person in confinement, or who ought to have been apprehended, is under sentence of death; or
with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, with or without fine, if the person in confinement or who ought to have been apprehended, is subject, by a sentence of a Court of Justice, or by virtue of a commutation of such sentence, to imprisonment for life or imprisonment for a term of ten years or upwards; or IPC की धारा 222
with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both, if the person in confinement, or who ought to have been apprehended is subject, by a sentence of a Court of Justice, to imprisonment for a term not exceeding to ten years or if the person was lawfully committed to custody.