IPC की धारा 225 — किसी अन्य व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में प्रतिरोध या बाधा –
जो कोई किसी अपराध के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के विधि के अनुसार पकड़े जाने में साशय प्रतिरोध करेगा या अवैध बाधा डालेगा, या किसी दूसरे व्यक्ति को किसी ऐसी अभिरक्षा से, जिसमें वह व्यक्ति किसी अपराध के लिए विधिपूर्वक निरुद्ध हो, साशय छुड़ाएगा या छुड़ाने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा;
अथवा यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना, हो या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, आजीवन कारावास, से या दस वर्ष तक की अवधि के कारावास से, दण्डनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
अथवा यदि उस व्यक्ति पर, जिसे पकड़ा जाना हो या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, मृत्यु दण्ड से दण्डनीय अपराध का आरोप हो या वह उसके लिए पकड़े जाने के दायित्व के अधीन हो तो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अथवा यदि वह व्यक्ति जिसे पकड़ा जाना हो या जो छुड़ाया गया हो, या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, किसी न्यायालय के दण्डादेश के अधीन, या वह ऐसे दण्डादेश के लघुकरण के आधार पर आजीवन कारावास या दस वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अथवा यदि वह व्यक्ति, जिसे पकड़ा जाना हो, या जो छुड़ाया गया हो या जिसके छुड़ाने का प्रयत्न किया गया हो, मृत्यु दण्डादेश के अधीन हो, तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, इतनी अवधि के लिए जो दस वर्ष से अनधिक है, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| यदि आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिये कारावास से दण्डनीय अपराध से आरोपित है या यदि मृत्यु दण्ड से दण्डनीय अपराध से आरोपित है या यदि वह व्यक्ति आजीवन कारावास, या दस वर्ष, या उससे अधिक के कारावास से दण्डादिष्ट है, तो यह संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है कित्नु यदि मृत्यु दण्डादेश के अधीन है तो सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 225 — Resistance or obstruction to lawful apprehension of another person –
Whoever intentionally offers any resistance or illegal obstruction to the lawful apprehension of any other person for an offence, or rescues or attempts to rescue any other person from any custody in which that person is lawfully detained for an offence, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both;
or, if the person to be apprehended, or the person rescued or attempted to be rescued, is charged with or liable to be apprehended for an offence punishable with imprisonment for life or imprisonment for a term which may extend to ten years, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine;
or, if the person to be apprehended, or rescued, or attempted to be rescued, is charged with or liable to be apprehended for an offence punishable with death, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine; IPC की धारा 225
or, if the person to be apprehended or rescued, or attempted to be rescued, is liable under the sentence of a Court of Justice, or by virtue of a commutation of such a sentence, to imprisonment for life or imprisonment, for a term of ten years or upwards, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine; IPC की धारा 225
or, if the person to be apprehended or rescued, or attempted to be rescued, is under sentence of death, shall be punished with ‘[imprisonment for life] or imprisonment of either description for a term not exceeding ten years, and shall also be liable to fine.