IPC की धारा 254 — सिक्के का असली सिक्के के रूप में परिदान जिसका परिदान करने वाला उस समय जब वह उसके कब्जे में पहली बार आया था, परिवर्तित होना नहीं जानता था –
जो कोई किसी दूसरे व्यक्ति को कोई सिक्का, जिसके बारे में वह जानता हो कि कोई ऐसी क्रिया, जैसी धारा 246, 247,248, या 249 में वर्णित है, की जा चुकी है, किन्तु जिसके बारे में वह उस समय, जब उसने उसे अपने कब्जे में लिया था, यह न जानता था कि उस पर ऐसी क्रिया कर दी गई है, असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, परिदत्त करेगा या असली के रूप में, या जिस प्रकार का वह है उससे भिन्न प्रकार के सिक्के के रूप में, किसी व्यक्ति को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या इतने जुर्माने से, जो उस सिक्के की कीमत के दस गुने तक का हो सकेगा जिसके बदले में परिवर्तित सिक्का चलाया गया हो या चलाने का प्रयत्न किया गया हो, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय, और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 254 — Delivery of coin as genuine, which, when first possessed, the deliverer did not know to be altered –
Whoever delivers to any other person as genuine or as a coin of a different description from what it is, or attempts to induce any person to receive as genuine, or as a different coin from what it is, any coin in respect of which he knows that any such operation as that mentioned in section 246, 247, 248 or 249 has been performed, but in respect of which he did not, at the time when he took it into his possession, know that such operation had been performed, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine to an amount which may extend to ten times the value of the coin for which the altered coin is passed, or attempted to be passed.