IPC की धारा 275 — अपमिश्रित औषधियों का विक्रय –
जो कोई यह जानते हुए कि किसी औषधि या भेषजीय निर्मिति में इस प्रकार से अपमिश्रण किया गया है कि उसकी प्रभावकारिता कम हो गई या उसकी क्रिया बदल गई है, या वह अपायकर बन गई है, उसे बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा, या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा, या किसी औषधालय से औषधीय प्रयोजनों के लिए उसे अनपमिश्रित के तौर पर देगा या उसका अपमिश्रित होना न जानने वाले व्यक्ति द्वारा औषधीय प्रयोजनों के लिए उसका उपयोग कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों में से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 275 — Sale of adulterated drugs –
Whoever, knowing any drug or medical preparation to have been adulterated in such a manner as to lessen its efficacy, to change its operation, or to render it noxious, sells the same, or offers or exposes it for sale, or issues it from any dispensary for medicinal purposes as unadulterated, or causes it to be used for medicinal purposes by any person not knowing of the adulteration, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.