IPC की धारा 65 (DHARA 65) — जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि –
यदि अपराध कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डनीय हो, तो वह अवधि, जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निर्देश दे, कारावास की उस अवधि की एक-चौथाई से अधिक न होगी, जो अपराध के लिए अधिकतम नियत है।
धारा 64 आईपीसी के प्रमुख अवयव क्या हैं? |
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यदि अपराध – 1. कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डनीय हो, 2. जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा में , 3. न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निर्देश दे, 4.कारावास की उस अवधि की एक-चौथाई से अधिक न होगी, 5. जो अपराध के लिए अधिकतम नियत है। |
IPC की धारा 65 Latest Judgement
एम0 बी0 मंजेगोवड़ा बनाम स्टेट आफ कर्नाटका (एस0 सी0), 2021
कोई चूक का दण्डादेश सम्बन्धित अपराध के लिए विहित अधिकतम दण्ड के 1/4 से अधिक अधिनिर्णीत नहीं किया जा सकता।
मीटर एण्ड इन्स्ट्रूमेंट प्राइवेट लि0 बनाम कंचन मेहता, (एस० सी०), ए0 आई0 आर0 2017
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 (3) के अधीन न्यायालय को धारा 64 के अधीन चूक के दण्डादेश के साथ उपयुक्त प्रतिकर और आगे धारा 431 के अधीन वसूली की शक्ति के साथ अधिनिर्णीत करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
IPC की धारा 65 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
सी0 पी0 सिंह, 10 वी0 रि० (क्रo) 30
जहाँ पर अपराध केवल जुर्माने से दण्डादिष्ट हो वहाँ पर यह धारा लागू नहीं मानी जायेगी, इस प्रकार की व्यवस्था भारतीय दण्ड संहिता की धारा 67 के अधीन की गई है।
अब्दुल सवीर बनाम मोहम्मद उस्मानोद्दीन, 2015 क्रि० लॉ ज0 1281 ( बम्बई )
चूंकि अभियुक्त ने अधिनिर्णीत प्रतिकर की धनराशि का संदाय करने में व्यतिक्रम किया था इसलिए धारा 65(DHARA 65), भा० द सं0 के प्रावधानों के अनुसार उसकी छ: महीने के सादे कारावास का दण्डादेश दिया गया।
IPC की धारा 65 FAQ
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यदि अपराध, कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डनीय है, तो वह अवधि, जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निर्देश दे, कारावास के उस अवधि का कितने से अधिक नहीं होगा, जो अपराध के लिए अधिकतम नियत है ?
एक चौथाई। (धारा 65 ) ।
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IPC की धारा 65 क्या (DHARA 65) है ?
यदि अपराध कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डनीय हो, तो वह अवधि, जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निर्देश दे, कारावास की उस अवधि की एक-चौथाई से अधिक न होगी, जो अपराध के लिए अधिकतम नियत है।
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IPC की धारा 65 किससे संबंधित है ?
जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि
65 IPC In Hindi — Limit to imprisonment for non-payment of fine, when imprisonment and fine awardable –
The term for which the Court directs the offender to be imprisoned in default of payment of a fine shall not exceed one-fourth of the term of imprisonment which is the maximum fixed for the offence, if the offence be punishable with imprisonment as well as fine.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]