IPC की धारा 110 (DHARA 110) — दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है –
जो कोई किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति ने दुष्प्रेरक के आशय या ज्ञान से भिन्न आशय या ज्ञान से वह कार्य किया हो, तो वह उसी दण्ड से दण्डित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, जो किया जाता यदि वह कार्य दुष्प्रेरक के ही आशय या ज्ञान से, न कि किसी अन्य आशय या ज्ञान से, किया जाता।
अपराध का वर्गीकरण — इस धारा के अधीन अपराध, इसके अनुसार की दुष्प्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय, संज्ञेय या असंज्ञेय होगा और इसके अनुसार की दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय, जमानतीय या अजमानतीय होगा और अशमनीय एवं उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है l |
IPC की धारा 110 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
प्रमथनाथ हरबाव, (1953) 1 कल० 81. IPC की धारा 110 को धारा 108 स्पष्टीकरण 3 के साथ पढ़ा जाना चाहिये। यदि दोनों को एक साथ पढ़ा जाये तो यह स्पष्ट हो जाता है कि दुष्प्रेरित व्यक्ति का दायित्व इस धारा द्वारा प्रभावित नहीं होता है तथा एक व्यक्ति दुष्प्रेरण का दोषी हो सकता है भले ही दुष्प्रेरित व्यक्ति अपराध कारित करने हेतु विधितः सक्षम भी न हो या उसका भी वही अपराधिक आशय या ज्ञान न रहा हो जो दुष्प्रेरक का था |
मातादीन बनाम महाराष्ट्र राज्य, 1999 क्रि० लॉ ज0 22 (एस0 सी0 ) जहाँ यह अभिकथन था कि सह अभियुक्त ने गाली कलौज के शब्द "मारो साले को" का प्रयोग करते हुए मुख्य अभियुक्त को प्रेरित किया था और मुख्य अभियुक्त ने मृतक के पेट में धुरे से प्रहार किया था और प्रत्यक्षदर्शी साक्षी का साक्ष्य मृत्यु कालिक कथन से संपुष्ट था और सह अभियुक्त का मुख्य अभियुक्त के साफ हत्या का समान आशय नहीं था वहाँ यह अभिनिर्धारित किया गया कि यद्यपि, 'मारो साले को" शब्द सह अभियुक्त गाली की भाषा में प्रयुक्त हुआ था किन्त इतने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने सह अभियुक्त को मृतक को मारने के लिए प्रेरित किया। अतः सह अभियुक्त को चोट के दुष्प्रेरण का दोषी ठहराया गया।
IPC की धारा 110 FAQ
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IPC की धारा 110 (DHARA 110) क्या है?
IPC की धारा 110 के अनुसार ,दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है
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दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है आईपीसी की किस धारा में दिया गया है ?
IPC की धारा 110 (DHARA 110) में |
IPC Section 110 — Punishment of abetment if person abetted does act with different intention from that of abettor –
Whoever abets the commission of an offence shall, if the person abetted does the act with a different intention or knowledge from that of the abettor, be punished with the punishment provided for the offence which would have been committed if the act had been done with the intention or knowledge of the abettor and with no other.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]