IPC की धारा 113 (DHARA 113) — दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो –
जबकि कार्य का दुष्प्रेरण दुष्प्रेरक द्वारा किसी विशिष्ट प्रभाव को कारित करने के आशय से किया जाता है और दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप जिस कार्य के लिए दुष्प्रेरक दायित्व के अधीन है, वह कार्य दुष्प्रेरक के द्वारा आशयित प्रभाव से भिन्न प्रभाव कारित करता है तब दुष्प्रेरक कारित प्रभाव के लिए उसी प्रकार और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने उस कार्य का दुष्प्रेरण उसी प्रभाव को कारित करने के आशय से किया हो परन्तु यह तब जबकि वह यह जानता था कि दुष्प्रेरित कार्य से यह प्रभाव कारित होना संभाव्य है।
दृष्टांत
य को घोर उपहति करने के लिए ख को क उकसाता है। ख उस उकसाहट के परिणामस्वरूप य को घोर उपहति कारित करता है। परिणामतः य की मृत्यु हो जाती है। यहां, यदि क यह जानता था कि दुष्प्रेरित घोर उपहति से मृत्यु कारित होना संभाव्य है, तो क हत्या के लिए उपबंधित दण्ड से दण्डनीय है।
अपराध का वर्गीकरण — इस धारा के अधीन अपराध, इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय, संज्ञेय या असंज्ञेय होगा और इसके अनुसार की दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय, जमानतीय या अजमानतीय होगा और अशमनीय एवं उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है l |
IPC की धारा 113 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
आई० पी० रम्मैया, ए0 आई0 आर0 1957 आं0 प्र0 177
जहाँ दुष्प्रेरक का आशय एक कार्य को उकसाने का हो, किन्तु दुष्प्रेरक द्वारा प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न गम्भीर अपहानि का अपराध कारित पर बैठता है तो कारित अपराध के लिए दुष्प्रेरित दायित्वाधीन माना जायेगा, चूँकि कारित अपहानि उसके आशय ज्ञान का स्पष्ट परिणाम थी।
IPC की धारा 113 FAQ
-
IPC की धारा 113 (DHARA 113) क्या है ?
दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो
-
दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो आईपीसी किस धारा से संबंधित है ?
IPC की धारा 113 से |
113 IPC In Hindi — Liability of abettor for an effect caused by the act abetted different from that intended by the abettor —
When an act is abetted with the intention on the part of the abettor of causing a particular effect, and an act for which the abettor is liable in consequence of the abetment, causes a different effect from that intended by the abettor, the abettor is liable for the effect caused, in the same manner and to the same extent as if he had abetted the act with the intention of causing that effect, provided he knew that the act abetted was likely to cause that effect.
Illustration –
A instigates B to cause grievous hurt to Z. B, in consequence of the instigation, causes grievous hurt to Z. Z dies in consequence. Here, if A knew that the grievous hurt abetted was likely to cause death, A is liable to be punished with the punishment provided for murder.
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]