धारा 2 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम — परिभाषाएँ-–
इस अधिनियम में, जब तक सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो :-
(क) “बाध्यता” के अन्तर्गत विधि द्वारा प्रवर्तनीय प्रत्येक कर्तव्य है;
**(ख) “व्यवस्थापन” से अभिप्रेत है कोई लिखत भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 ( 1925 का 39) द्वारा यथा परिभाषित किसी इच्छापत्र (विल) या क्रोड्पत्र से भिन्न जिसके द्वारा जंगम या स्थावर सम्पत्ति के क्रमवर्ती हितों का गंतव्य अथवा न्यागमन का व्ययन किया जाता है अथवा व्ययन किया जाना तय किया जाता है;
(ग) “न्यास” का वही अर्थ है जो भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 (1882 का 2) की धारा 3 में है, और इसके अन्तर्गत उस अधिनियम के अध्याय 9 के अर्थ के भीतर किसी न्यास की प्रकृति में कोई बाध्यता भी है;
(घ) “न्यासी” के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति है जो न्यास में सम्पत्ति धारण किये हुए है;
(ङ) अन्य समस्त शब्दों एवं अभिव्यक्तियों, जो इसमें प्रयुक्त की गई परन्तु परिभाषित नहीं की गईं, और भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (1872 का 9) में परिभाषित की गई है, के वही अर्थ होंगे जो उस अधिनियम में उन्हें क्रमशः समनुदेशित किये गए हैं।
Section 2 Specific Relief Act — Definitions —
In this Act, unless the context otherwise requires,–
(a) “obligation” includes every duty enforceable by law;
(b) “settlement” means an instrument (other than a will or codicil as defined by the Indian Succession Act, 1925 (39 of 1925), whereby the destination or devolution of successive interests in movable or immovable property is disposed of or is agreed to be disposed of;
(c) “trust” has the same meaning as in section 3 of the Indian Trusts Act, 1882 (2 of 1882), and includes an obligation in the nature of a trust within the meaning of Chapter IX of that Act;
(d) “trustee” includes every person holding property in trust;
(e) all other words and expressions used herein but not defined, and defined in the Indian Contract Act, 1872 (9 of 1872), have the meanings respectively assigned to them in that Act.