धारा 22 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम — कब्जे ,विभाजन अग्रिम धन के प्रतिदाय, इत्यादि के लिये अनुतोष के अनुदान की शक्ति–
(1) सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) में अन्तर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो स्थावर सम्पत्ति के अंतरण के लिये किसी संविदा के विनिर्दिष्ट पालन के लिये वाद लाता है, किसी समुचित मामले में–
(क) ऐसे पालन के अतिरिक्त, सम्पत्ति का कब्जा, या विभाजन एवं पृथक् कब्जा ; या
(ख) विनिर्दिष्ट पालन के लिये उसके दावे के नामंजूर किये जाने की दशा में किसी अग्रिम धन या उसके द्वारा संदत्त या किये गये निक्षेप को सम्मिलित करते हुए, अन्य कोई अनुतोष जिसका वह हकदार हो;
माँग सकेगा
(2) उपधारा (1) के खण्ड (क) या खण्ड (ख) के अधीन न्यायालय द्वारा कोई अनुतोष अनुदत्त नहीं किया जाएगा जब तक कि उसका विनिर्दिष्टतः दावा न किया गया हो :
परन्तु यह कि जहाँ वादी ने ऐसे किसी अनुतोष का वादपत्र में दावा न किया हो तो न्यायालय उसे, कार्यवाही के किसी भी प्रक्रम पर ऐसे अनुतोष को दावे में सम्मिलित करने के लिये ऐसे निबंधनों पर जैसे कि न्यायसंगत हों, वादपत्र में संशोधन करना मंजूर करेगा ।
(3) उपधारा (1) के खण्ड (ख) के अधीन अनुतोष अनुदत्त करने की न्यायालय की शक्ति धारा 21 के अधीन इसकी प्रतिकर अधिनिर्णीत करने की शक्तियों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी ।
Section 22 Specific Relief Act — Power to grant relief for possession, partition, refund of earnest money, etc —
(1) Notwithstanding anything to the contrary contained in the Code of Civil Procedure,1908 (5 of 1908), any person suing for the specific performance of a contract for the transfer of immovable property may, in an appropriate case, ask for–
(a) possession, or partition and separate possession, of the property in addition to such performance; or
(b) any other relief to which he may be entitled, including the refund of any earnest money or deposit paid or 1[made by] him, in case his claim for specific performance is refused.
(2) No relief under clause (a) or clause (b) of sub-section (1) shall be granted by the court unless it has been specifically claimed: धारा 22 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम
Provident that where the plaintiff has not claimed any such relief in the plaint, the court shall, at any stage of the proceeding, allow him to amend the plaint on such terms as may be just for including a claim for such relief.
(3) The power of the court to grant relief under clause (b) of sub-section (1) shall be without prejudice to its powers to award compensation under section 21.