धारा 28 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम — स्थावर सम्पत्ति के विक्रय या पट्टे के लिये संविदाओं का कतिपय परिस्थितियों में विखंडन, जिनके विनिर्दिष्ट पालन की डिक्री की जा चुकी है.–
(1) जहाँ किसी वाद में स्थावर सम्पत्ति के विक्रय या पट्टे के लिये किसी संविदा के विनिर्दिष्ट पालन के लिये कोई डिक्री की जा चुकी हो और क्रेता या पट्टेदार, डिक्री द्वारा मंजूर की गई कालावधि या ऐसी अतिरिक्त कालावधि जो न्यायालय मंजूर करे, के भीतर क्रय धन या अन्य राशि जिसका संदाय उसे न्यायालय द्वारा आदेशित किया गया है, संदाय नहीं करता तो विक्रेता या पट्टाकर्ता उसी वाद में जिसमें डिक्री की गई है, संविदा विखंडित किये जाने का आवेदन कर सकेगा और ऐसे आवेदन-पत्र पर न्यायालय, आदेश द्वारा, संविदा या तो जहाँ तक व्यतिक्रम करने वाले पक्षकार के विषय में या सम्पूर्णतः, यथा मामले में न्याय द्वारा अपेक्षित हो, विखंडित कर सकेगा ।
(2) जहाँ उपधारा (1) के अधीन कोई संविदा विखंडित की गई हो, न्यायालय–
(क) क्रेता या पट्टेदार को निदेश देगा, यदि उसने संविदा के अधीन सम्पत्ति का कब्जा अभिप्राप्त कर लिया हो, तो विक्रेता या पट्टाकर्ता को ऐसा कब्जा प्रत्यावर्तित करे;
(ख) विक्रेता या पट्टाकर्ता को समस्त भाटकों एवं लाभों का संदाय किये जाने का, जो सम्पति की बाबत उस दिनांक, जब क्रेता या पट्टेदार द्वारा इस प्रकार कब्जा अभिप्राप्त किया गया था, से विक्रेता या पट्टाकर्ता को कब्जा प्रत्यावर्तित करने तक प्रोद्भूत हुआ, और यदि मामले में न्याय द्वारा ऐसा अपेक्षित हो, संविदा के संबंध में क्रेता या पट्टेदार द्वारा अग्रिम धन या निक्षेप के रूप में संदत्त किसी राशि का प्रतिदाय करने का निदेश दे सकेगा ।
(3) यदि क्रेता या पट्टेदार क्रय धन या अन्य राशि का संदाय करता है जिसका उसे डिक्री के अधीन उपधारा (1) में निर्दिष्ट कालावधि के भीतर संदाय करने का आदेश दिया गया हो, न्यायालय, उसी वाद में किये गए आवेदन-पत्र पर क्रेता या पट्टेदार को ऐसे अतिरिक्त अनुतोष जिसके वे हकदार हों, अधिनिर्णीत कर सकेगा, समुचित मामलों में निम्नलिखित समस्त या कोई अनुतोषों को सम्मिलित करते हुए, अर्थात् :
(क) विक्रेता या पट्टाकर्ता द्वारा किसी उचित हस्तांतरण या पट्टे का निष्पादन;
(ख) ऐसे हस्तांतरण या पट्टे के निष्पादन पर सम्पत्ति का कब्जा, या विभाजन एवं पृथक् कब्जे का परिदान |
(4) किसी अनुतोष की बाबत् जिसका इस धारा के अधीन दावा किया जा सके, कोई पृथक् वाद यथास्थिति, किसी विक्रेता ,क्रेता, पट्टाकर्ता या पट्टेदार की प्रेरणा पर नहीं लाया जा सकेगा।
(5) इस धारा के अधीन किन्हीं भी कार्यवाहियों के व्यय न्यायालय के विवेक पर होंगे ।
Section 28 Specific Relief Act — Rescission in certain circumstances of contracts for the sale or lease of immovable property, the specific performance of which has been decreed —
(1) Where in any suit a decree for specific performance of a contract for the sale or lease of immovable property has been made and the purchaser or lessee does not, within the period allowed by the decree or such further period as the court may allow, pay the purchase money or other sum which the court has ordered him to pay, the vendor or lessor may apply in the same suit in which the decree is made, to have the contract rescinded and on such application the court may, by order, rescind the contract either so far as regards the party in default or altogether, as the justice of the case may require.
(2) Where a contract is rescinded under sub-section (1), the court–
(a) shall direct the purchaser or the lessee, if he has obtained possession of the property under the contract, to restore such possession to the vendor or lessor; and धारा 28 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम
(b) may direct payment to the vendor or lessor of all the rents and profits which have accrued in respect of the property from the date on which possession was so obtained by the purchaser or lessee until restoration of possession to the vendor or lessor, and, if the justice of the case so requires, the refund of any sum paid by the vendee or the lessee as earnest money or deposit in connection with the contract. धारा 28 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम
(3) If the purchase or lessee pays the purchase money or other sum which he is ordered to pay under the decree within the period referred to in sub-section (1), the court may, on application made in the same suit, award the purchaser or lessee such further relief as he may be entitled to, including in appropriate cases all or any of the following reliefs, namely:– धारा 28 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम
(a) the execution of a proper conveyance or lease by the vendor or lessor;
(b) the delivery of possession, or partition and separate possession, of the property on the execution of such conveyance or lease. धारा 28 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम
(4) No separate suit in respect of any relief which may be claimed under this section shall lie at the instance of a vendor, purchaser, lessor or lessee, as the case may be.
(5) The costs of any proceedings under this section shall be in the discretion of the court.