धारा 32 भारतीय संविदा अधिनियम — ऐसी संविदाओं का प्रवर्तन, जो किसी घटना के घटित होने पर समाश्रित हों —
उन समाश्रित संविदाओं का प्रवर्तन, जो किसी अनिश्चित भावी घटना के घटित होने पर किसी बात को करने या न करने के लिए हो, विधि द्वारा नहीं कराया जा सकता, यदि और जब तक वह घटना घटित न हो गई हो।
यदि वह घटना असम्भव हो जाए तो ऐसी संविदाएँ शून्य हो जाती हैं।
दृष्टान्त
(क) ‘ख’ से ‘क’ संविदा करता है कि यदि ‘ग’ के मरने के पश्चात् ‘क’ जीवित रहा तो वह ‘ख’ का घोड़ा खरीद लेगा। इस संविदा का प्रवर्तन विधि द्वारा नहीं कराया जा सकता यदि और जब तक ‘क’ के जीवनकाल में ‘ग’ मर न जाए।
(ख) ‘ख’ से ‘क’ संविदा करता है कि यदि ‘ग’ ने जिससे घोड़ा बेचने की प्रस्थापना की गई है, उसे खरीदने से इन्कार कर दिया तो वह ‘ख’ को वह घोड़ा विनिर्दिष्ट कीमत पर बेच देगा; इस संविदा का प्रवर्तन विधि द्वारा नहीं कराया जा सकता यदि और जब तक ‘ग’ घोड़े को खरीदने से इन्कार न कर दे।
(ग) ‘क’ यह संविदा करता है कि जब ‘ग’ से ‘ख’ विवाह कर लेगा तो ‘ख’ को ‘क’ एक नियत धनराशि देगा। ‘ख’ से विवाह हुए बिना ‘ग’ मर जाती है। संविदा शून्य हो जाती है।
Section 32 Indian Contract Act — Enforcement of contracts contingent on an event happening –
Contingent contracts to do or not to do anything if an uncertain future event happens, cannot be enforced by law unless and until that event has happened. If the event becomes impossible, such contracts become void.
Illustrations
(a) A makes a contract with B to buy B’s horse if A survives C. This contract cannot be enforced by law unless and until C dies in A’s lifetime.
(b) A makes a contract with B to sell a horse to B at a specified price, if C, to whom the horse has been offered, refuses to buy him. The contract cannot be enforced by law unless and until C refuses to buy the horse.
(c) A contracts to pay B a sum of money when B marries C. C dies without being married to B. The contract becomes void.