धारा 37 भारतीय संविदा अधिनियम — संविदाओं के पक्षकारों की बाध्यता —
संविदा के पक्षकारों को या तो अपने-अपने वचनों का पालन करना होगा या करने की प्रस्थापना करनी होगी जब तक कि ऐसे पालन से इस अधिनियम के या किसी अन्य विधि के उपबन्धों के अधीन अभिमुक्ति या माफी न दे दी गई हो।
वचन, उनके पालन के पूर्व वचनदाताओं की मृत्यु हो जाने की दशा में, ऐसे वचनदाताओं के प्रतिनिधियों को आबद्ध करते हैं, जब तक कि तत्प्रतिकूल कारण संविदा से प्रतीत न हो।
दृष्टान्त
(क) ‘क’, 1,000 रुपये का संदाय किए जाने पर ‘ख’ को अमुक दिन माल परिदत्त करने का वचन देता है। ‘क’ उस दिन से पहले ही मर जाता है। ‘क’ के प्रतिनिधि ‘ख’ को माल परिदत्त करने के लिए आबद्ध हैं और ‘क’ के प्रतिनिधियों को ‘ख’ 1,000 रुपये देने के लिए आबद्ध है।
(ख), ‘क’ अमुक कीमत पर अमुक दिन तक ‘ख’ के लिए एक रंगचित्र बनाने का वचन देता है। ‘क’ उस दिन से पहले ही मर जाता है। यह संविदा ‘क’ के प्रतिनिधियों द्वारा या ‘ख’ द्वारा प्रवर्तित नहीं कराई जा सकती.
Section 37 Indian Contract Act — Obligation of parties to contract —
The parties to a contract must either perform, or offer to perform, their respective promises, unless such performance is dispensed with or excused under the provisions of this Act, or of any other law.
Promises bind the representatives of the promisors in case of the death of such promisors before performance, unless a contrary intention appears from the contract.
Illustrations
(a) A promises to deliver goods to B on a certain day on payment of Rs.1,000. A dies before that day. As representatives are bound to deliver the goods to B, and B is bound to pay the Rs. 1,000 to A’s representatives.
(b) A promises to paint a picture for B by a certain day, at a certain price. A dies before the day. The contract cannot be enforced either by A’s representatives or by B