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IPC की धारा 114 | DHARA 114 | 114 IPC In Hindi

IPC की धारा 114 (DHARA 114) — अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति –

जब कभी कोई व्यक्ति, जो अनुपस्थित होने पर दुष्प्रेरक के नाते दण्डनीय होता, उस समय उपस्थित हो जब वह कार्य या अपराध किया जाए, जिसके लिए वह दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दण्डनीय होता, तब यह समझा जाएगा कि उसने ऐसा कार्य या अपराध किया है।

अपराध का वर्गीकरण — इस धारा के अधीन अपराध, इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय, संज्ञेय या असंज्ञेय होगा और इसके अनुसार की दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय, जमानतीय या अजमानतीय होगा और अशमनीय एवं उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है l

धारा 114 आईपीसी के प्रमुख अवयव क्या हैं?
(क) किये गये कार्य की प्रकृति निश्चयतः अपराध गठित करे;
(ख) दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप एक कार्य या अपराध कारित किया गया हो;
(ग) कार्य या अपराध करते समय दुष्प्रेरक घटनास्थल पर उपस्थित हो, भले ही कोई अन्य व्यक्ति वास्तविक अपराध कारित करता हो

धारा 114 तथा धारा 34 में अन्तर
धारा 114 (DHARA 114) उन मामलों से सम्बन्धित है जिनमें एक व्यक्ति अपराध होने के पूर्व उकसाने द्वारा या सहायता द्वारा अथवा षड्यंत्र द्वारा अपने को दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय बना लेता है, कार्य होते समय घटनास्थल पर अपनी मात्र उपस्थिति द्वारा, भले ही उसने कार्य सम्पादन में सक्रिय रूप से भाग न लिया हो।| धारा 34 के अन्तर्गत यदि एक आपराधिक कृत्य कई व्यक्तियों द्वारा उन सब के सामान्य आशय को अग्रसर करने में किया जाता है तो उनमें से प्रत्येक व्यक्ति उस कार्य के लिये उसी प्रकार उत्तरदायी है मानों वह कार्य अकेले उसी ने किया हो।

IPC की धारा 114 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

नन्हू केदार, ए० आई० आर० 1962 म० प्र० 91.
इस धारा के प्रवर्तन के लिये यह आवश्यक है कि एक व्यक्ति किसी अपराध का दुष्प्रेरण एक स्थान पर करे तत्पश्चात् अपराध कारित होते समय उस स्थान पर मौजूद रहे । 
मुमताज अली बनाम सम्राट, ए0आई0आर0 1935 अवध 473 
जहाँ बलात्कार का अपराध कारित किये जाते समय अभियुक्त अन्य अभियुक्तों के साथ चाकू खोले खड़ा रहता है तो ऐसी दशा में वह धारा 376 सपठित धारा 114 (DHARA 114) के अधीन दोषी ठहराया जा सकता है।
वेकर हुसैन कुरेशी बनाम राज्य, ए0 आई0 आर0 1952 आं0 प्र0 29
जहाँ पर अभियुक्त पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 395 तथा धारा 445 के अधीन मूल अपराधी का आरोप लगाया गया हो, किन्तु चालन से अपराध को कारित किये जाने की दुष्प्रेरण की रीति तथा उसके द्वारा दिये गये महत्वपूर्ण योगदान का तथ्य स्पष्टतया साबित न हो पाये तो घटना स्थल पर उपस्थित रहने मात्र से वह आपराधिक दायित्व के अधिरोपण के लिए दायित्वाधीन नहीं माना जायेगा ।
गनेश दामोदर सवारकर, 54 क्रि० लॉ ज0 1197
धारा 114(DHARA 114) के प्रवर्तन में मात्र पूर्विक दुष्प्रेरण ही आवश्यक नहीं होगा अपितु अपराध कारित किये जाते समय घटना स्थल पर दुष्प्रेरक की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

IPC की धारा 114 FAQ

  1. IPC की धारा 114 (DHARA 114) क्या है?

    जब कभी कोई व्यक्ति, जो अनुपस्थित होने पर दुष्प्रेरक के नाते दण्डनीय होता, उस समय उपस्थित हो जब वह कार्य या अपराध किया जाए, जिसके लिए वह दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दण्डनीय होता, तब यह समझा जाएगा कि उसने ऐसा कार्य या अपराध किया है।

  2. IPC की कौन सी धारा में अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति का प्रावधान है?

    IPC की धारा 114 में |

114 IPC In Hindi — Abettor present when offence is committed –

Whenever any person, who is absent would be liable to be punished as an abettor, is present when the act or offence for which he would be punishable in consequence of the abetment is committed, he shall be deemed to have committed such act or offence.

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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