IPC की धारा 229A — जमानत या बंध पत्र पर छोड़े गए व्यक्ति द्वारा न्यायालय में हाजिर होने में असफलता –
जो कोई, किसी अपराध से आरोपित किए जाने पर और जमानत पर या अपने बन्धपत्र पर छोड़ दिए जाने पर जमानत या बन्धपत्र के निबन्धनों के अनुसार न्यायालय में पर्याप्त कारणों के बिना हाजिर होने में (वह साबित करने का भार उस पर होगा) असफल रहेगा वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण – इस धारा के अधीन दण्ड –
(क) उस दण्ड के अतिरिक्त है, जिसके लिए अपराधी उस अपराध के लिए जिसके लिए उसे आरोपित किया गया है, दोषसिद्धि पर दायी होगा; और
(ख) न्यायालय की बन्धपत्र के समपहरण का आदेश करने की शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला नहीं है।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, अजमानतीय, अशमनीय, और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 229A — Failure by person released on bail or bond to appear in Court –
Whoever, having been charged with an offence and released on bail or on bond without sureties, fails without sufficient cause (the burden of proving which shall lie upon him), to appear in Court in accordance with the terms of the bail or bond, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine, or with both.
Explanation – The punishment under this section is –
(a) in addition to the punishment to which the offender would be liable on a conviction for the offence with which he has been charged; and
(b) without prejudice to the power of the Court to order forfeiture of the bond.