IPC की धारा 312 — गर्भपात कारित करना –
जो कोई गर्भवती स्त्री का स्वेच्छया गर्भपात कारित करेगा, यदि ऐसा गर्भपात उस स्त्री का जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक, कारित न किया जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा, और यदि वह स्त्री स्पन्दन-गर्भा हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण – जो स्त्री स्वयं अपना गर्भपात कारित करती है, वह इस धारा के अन्तर्गत आती है।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| द.प्र.सं. ( संशोधन ) अधिनियम , 2008 ( क्र. 5 सन् 2009 ) कि धरा 23(ii) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धरा के अधीन अपराध को न्यायालय कि अनुमति से उस स्त्री द्वारा शमनीय बनाया गया है जिसका गर्भपात किया गया गया है | उक्त संशोधनके पूर्व यह अशमनीय था I |
IPC Section 312 — Causing miscarriage –
Whoever voluntarily causes a woman with child to miscarry, shall, if such miscarriage be not caused in good faith for the purpose of saving the life of the woman, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both; and, if the woman be quick with child, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
Explanation – A woman who causes herself to miscarry, is within the meaning of this section.