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IPC की धारा 45 | धारा 45 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 45 In Hindi

IPC की धारा 45 — “जीवन” –

जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, “जीवन” शब्द मानव के जीवन का द्योतक है।


IPC की धारा 45 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

विकास यादव बनाम स्टेट आफ यू0 पी0, (एस0 सी0), ए0 आई0 आर0 2016
आजीवन कारावास का अर्थ होता है कि किसी व्यक्ति को सम्पूर्ण जीवन के लिए सजा के रूप में कारावास दिया जाता है, जब तक उपयुक्त शासन द्वारा या संविधान के अनुच्छेद 72 या 161 के अंतर्गत यानी क्रमशः राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल द्वारा इसे वैध रूप से कम नहीं किया जाता।

IPC की धारा 45 FAQ

  1. भारतीय दण्ड संहिता की किस धारा में “जीवन” को परिभाषित किया गया है?

    IPC की धारा 45 में

  2. IPC की धारा 45 क्या है?

    जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, “जीवन” शब्द मानव के जीवन का द्योतक है।

  3. आईपीसी में “जीवन” शब्द की परिभाषा क्या है?

    IPC की धारा 45 के अनुसार, जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, “जीवन” शब्द मानव के जीवन का द्योतक है।

  4. आईपीसी (IPC)की धारा 45 किससे संबन्धित है?

    जीवन से

IPC Section 45 — “Life” –

The word “life” denotes the life of a human being, unless the contrary appears from the context.

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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