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IPC की धारा 52 | धारा 52 भारतीय दण्ड संहिता | IPC Section 52 In Hindi

IPC की धारा 52 (DHARA 52) — “सद्भावपूर्वक” –

कोई बात “सद्भावपूर्वक” की गई या विश्वास की गई नहीं कही जाती जो सम्यक् सतर्कता और ध्यान के बिना की गई या विश्वास की गई हो।


किसी कार्य का सद्भावपूर्वक किया जाना किन तत्वों पर निर्भर करता है?
निम्नलिखित तीन तत्वों पर निर्भर करता है- 
(i) अभियुक्त द्वारा किये गये कार्य की प्रकृति 
(ii) किये गये कार्य का परिणाम एवं महत्व तथा
(iii) सतर्कता तथा ध्यान का प्रयोग करने के लिए ‘उपयुक्त अवसर’

IPC की धारा 52 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –

शिंभू नरायन (1923) 45 इला० 495.
अभियुक्त जो एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति था तथा एक कस्बे में रह रहा था, जहाँ सभी चिकित्सीय सुविधायें उपलब्ध थीं, ने अपने भाई को जो तीव्र प्रकृति की मिर्गी से परेशान था तीन महीने से भी अधिक समय तक अनावश्यक कठोरता से बाँध रखा था। यह निर्णय दिया गया कि अभियुक्त ने सद्भावपूर्वक कार्य (IPC की धारा 52) नहीं किया, क्योंकि उसने सम्यक् सतर्कता तथा ध्यान से कार्य नहीं किया, क्योंकि उसने चिकित्सीय सुविधा का लाभ नहीं उठाया अपितु उसे अनुपयुक्त कठोरता से दण्डित किया।
दिलीप, 50 लॉ रि0 18 इला0 246
जहाँ पर कुर्की वारंट कलेक्टर द्वारा हस्ताक्षरित होने के बजाय डिप्टी कलेक्टर द्वारा हस्ताक्षरित थी, तथा जिस पर कुर्क अमीन वारंट की कार्यवाही की तो उक्त दशा में कुर्क अमीन द्वारा किया गया कार्य आईपीसी की धारा 52 (DHARA 52) के तहत सद्भावनापूर्वक माना गया।
सुकरू कविराज, इ० लॉ रि0 14 कल0 566
जहाँ पर एक अकुशल तथा अप्रतिशिक्षित व्यक्ति एक साधारण चाकू से एक बवासीर के रोगी के रोग की शल्य क्रिया में भाग लेता है जिससे अधिक रक्त स्राव के कारण सम्बन्धित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो किया गया कार्य सम्यक् सतर्कता और सावधानी के तहत किया गया नहीं माना जायेगा, अर्थात् उसका कार्य IPC की धारा 52 के तहत सद्भावनापूर्वक की कोटि में नहीं आयेगा।
सुन्दर लाल बनाम इम्परर 1933 क्रि० लॉ० ज० 218.
कुर्की वारण्ट कलेक्टर द्वारा हस्ताक्षरित होने के बजाय डिप्टी कलेक्टर तथा ट्रेजरी अफसर द्वारा हस्ताक्षरित हुआ था। अमीन ने वारण्ट पर कार्यवाही किया। यह निर्णीत हुआ कि जहाँ तक अमीन का प्रश्न है, वारण्ट उसे वैध प्रतीत हुआ तथा अमीन ने धारा 52 के तहत सद्भावपूर्वक कार्य किया था। 
गोपी महतो, ए0 आई0 आर0 1932 पटना 66
इसी तरह एक पुलिस इन्सपेक्टर द्वारा किया गया ऐसा कार्य जो कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 165 के अनुपालन के बिना किया जाता है उसे सद्भावना पूर्वक किये गये कार्य की कोटि में नहीं माना जायेगा।
रघुवीर (1933) ओ० डब्ल्यू० एन० 67.
अमीन ने उस समय एक व्यक्ति की सम्पत्ति को कुर्क करना चाहा जबकि कुर्की वारण्ट में निर्धारित समय समाप्त हो चुका था। यह निर्णय दिया गया कि अमीन ने आईपीसी (IPC) की धारा 52 के तहत सद्भावपूर्वक कार्य नहीं किया था।

IPC की धारा 52 FAQ

  1. आईपीसी में ‘सद्भाव’ शब्द किस धारा में परिभाषित है ?

    आईपीसी की धारा 52 (DHARA 52) में। (सद्भावयुक्त विश्वास के अधीन किया गया कार्य) ।

  2. सद्भावपूर्वक शब्द को स्पष्टीकृत कीजिए ?

    IPC धारा 52 (DHARA 52) के अनुसार- कोई बात सद्भावपूर्वक की गयी या विश्वास की गयी कही जाती है जो सम्यक सतर्कता और ध्यान से की गई या विश्वास से की गयी हो।

  3. IPC की धारा 52 में किसकी परिभाषा दी गयी हैं?

    IPC की धारा 52 में “सद्भावपूर्वक”की परिभाषा दी गयी हैं |

IPC Section 52 – “Good faith” –

Nothing is said to be done or believed in “good faith” which is done or believed without due care and attention.

भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –

भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र

भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल

भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]

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