IPC की धारा 111 — दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है –
जबकि किसी एक कार्य का दुष्प्रेरण किया जाता है, और कोई भिन्न कार्य किया जाता है, तब दुष्प्रेरक उस किए गए कार्य के लिए उसी प्रकार से और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने सीधे उसी कार्य का दुष्प्रेरण किया हो :
परन्तुक -- परन्तु यह तब जबकि किया गया कार्य दुष्प्रेरण का अधिसंभाव्य परिणाम था और उस उकसाहट के असर के अधीन या उस सहायता से या उस षड़यंत्र के अनुसरण में किया गया था जिससे वह दुष्प्रेरण गठित होता है।
दृष्टांत
(क) एक शिशु को य के भोजन में विष डालने के लिए क उकसाता है, और उस प्रयोजन से उसे विष परिदत्त करता है। वह शिशु उस उकसाहट के परिणामस्वरूप भूल से म के भोजन में, जो य के भोजन के पास रखा हुआ है, विष डाल देता है। यहां, यदि वह शिशु क के उकसाने के असर के अधीन उस कार्य को कर रहा था, और किया गया कार्य उन परिस्थितियों में उस दुष्प्रेरण का अधिसंभाव्य परिणाम है, तो क उसी प्रकार और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, मानो उसने उस शिशु को म के भोजन में विष डालने के लिए उकसाया हो।
(ख) ख को य का गृह जलाने के लिए क उकसाता है। ख उस गृह को आग लगा देता है और उसी समय वहां संपत्ति की चोरी करता है। क यद्यपि गृह जलाने के दुष्प्रेरण का दोषी है, किन्तु चोरी के दुष्प्रेरण का दोषी नहीं है; क्योंकि वह चोरी एक अलग कार्य थी और उस गृह के जलाने का अधिसंभाव्य परिणाम नहीं थी।
(ग) ख और ग को बसे हुए गृह में अर्धरात्रि में लूट के प्रयोजन से भेदन करने के लिए क उकसाता है, और उनको उस प्रयोजन के लिए आयुध देता है। ख और ग वह गृह भेदन करते हैं, और य द्वारा जो निवासियों में से एक है, प्रतिरोध किए जाने पर, य की हत्या कर देते हैं। यहां, यदि वह हत्या उस दुष्प्रेरण का अधिसंभाव्य परिणाम थी, तो क हत्या के लिए उपबंधित दण्ड से दण्डनीय है।
अपराध का वर्गीकरण — इस धारा के अधीन अपराध, इसके अनुसार कि आशयित दुष्प्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय, संज्ञेय या असंज्ञेय होगा और इसके अनुसार की दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय, जमानतीय या अजमानतीय होगा और अशमनीय एवं उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा आशयित दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है l |
धारा 111 आईपीसी के प्रमुख अवयव क्या हैं? |
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1. जबकि किसी एक कार्य का दुष्प्रेरण किया जाता है, 2. और कोई भिन्न कार्य किया जाता है, 3. तब दुष्प्रेरक उस किए गए कार्य के लिए उसी प्रकार से और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन है, 4. मानो उसने सीधे उसी कार्य का दुष्प्रेरण किया हो | |
IPC की धारा 111 से संबंधित महत्वपूर्ण केस –
मुमताज अली, ए0 आई0 आर0 1937 अवध 474
IPC की धारा 111 के उपबन्ध केवल उन्हीं मामलों के क्रियाशील माने जायेंगे, जबकि मामले में कारित कार्य दुष्प्रेरण का अधिसम्भाव्य परिणाम हो । धारा में निविष्ट उपबन्ध यह नियम प्रतिपादित करते हैं कि जहाँ दुष्प्रेरक द्वारा दुष्प्रेरित किये गये कार्य से भिन्न कोई कार्य किया गया हो तो दुष्प्रेरक कारित अपराध के अधिसम्भाव्य परिणाम के लिए उत्तरदायी होगा।
एच0 एन0 सिंह बनाम सम्राट, ए0 आई0 आर0 1919 लाहौर 256 दुष्प्रेरक द्वारा दुष्प्रेरित किये जाने के परिणामस्वरूप कारित कार्य के अग्रसरण में अधिसम्भाव्य था या नहीं इसके अभिनिर्धारण में मामले की परिस्थितियाँ प्रमुखतया विचारणीय मानी जायेंगी।
नईमुद्दीन बनाम सम्राट, ए0 आई0 आर0 1943 कल0 49 IPC की धारा 111 के उपबन्धों के आकर्षण में यह अनिवार्य होगा कि दुष्प्रेरक ने किसी अपराध को कारित किये जाने का दुष्प्रेरण किया हो, तथा उक्त दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध कारित किया गया हो उक्त तथ्य दुष्प्रेरक के दायित्व के अधिरोपण में भी आवश्यक रूप से साबित किये जायेंगे।
IPC की धारा 111 FAQ
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जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है तो दुष्प्रेरक का आपराधिक दायित्व क्या होगा ?
ऐसी स्थिति में दुष्प्रेरक उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है मानो उसने सीधे उसी कार्य का दुष्प्रेरण किया हो, परन्तु यह तब जबकि किया गया कार्य, दुष्प्रेरण का अधिसंभाव्य परिणाम था और उस उकसाहट के असर के, या सहायता, या षडयन्त्र के अनुसरण में किया गया था जिससे वह दुष्प्रेरण गठित होता है (IPC की धारा 111)
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एक शिशु को ‘य’ के भोजन में विष डालने के लिए उसे विष देकर ‘क’ उकसाता है। वह शिशु उस उकसाहट के परिणामस्वरूप भूल से ‘य’ के पास रखे ‘न’ के भोजन में विष डाल देता है। ‘क’ ने क्या अपराध किया?
प्रस्तुत समस्या में यदि शिशु उस उकसाहट के असर में कार्य कर रहा था और किया गया कार्य उन परिस्थितियों में उस दुष्प्रेरण का अधिसंभाव्य परिणाम था तो ‘क’ उसी प्रकार के अपराध के लिए दायित्वाधीन है, मानो उसने शिशु को ‘न’ के भोजन में विष डालने को उकसाया हो (दृष्टांत ‘क’ IPC की धारा 111)।
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‘क’, ‘ख’ को ‘य’ का गृह जलाने के लिए उकसाता है ‘ख’ उस गृह को आग लगा देता है और उसी समय वहाँ सम्पत्ति की चोरी करता है। ‘क’ किस अपराध का दोषी है ?
‘क’ गृह चलाने के दुष्प्रेरण का दोषी है किन्तु चोरी के दुष्प्रेरण का दोषी नहीं है, क्योंकि वह चेरी एक अलग कार्य थी, और उस गृह को जलाने का अधिसंभाव्य परिणाम नहीं थी (दृष्टांत ख IPC की धारा 111)
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‘क’ ‘ख’ को उकसाता है कि वह ‘ग’ को गम्भीर चोट पहुँचाए किन्तु ‘ख’ ने ‘ग’ को मार डाला ‘क’ किस अपराध का दोषी होगा ?
हत्या का दुष्प्रेरण करने का (IPC की धारा 111)
111 IPC In Hindi — Liability of abettor when one act abetted and different act done –
When an act is abetted and a different act is done, the abettor is liable for the act done, in the same manner, and to the same extent as if he had directly abetted it :
भारतीय दण्ड संहिता के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
भारतीय दंड संहिता,1860 – प्रो सूर्य नारायण मिश्र
भारतीय दंड संहिता, 1860 – डॉ. बसंती लाल
भारतीय दण्ड संहिता ( DIGLOT) [ENGLISH/HINDI] [BARE ACT]