IPC की धारा 166A — लोक सेवक, जो विधि के अधीन के निदेश की अवज्ञा करता है –
जो कोई लोक सेवक होते हुए :-
(क) विधि के किसी ऐसे निदेश की, जो उसको किसी अपराध या किसी अन्य मामले में अन्वेषण के प्रयोजन के लिए, किसी व्यक्ति की किसी स्थान पर उपस्थिति की अपेक्षा किए जाने से प्रतिषिद्ध करता है, जानते हुए अवज्ञा करता है; या
(ख) किसी ऐसी रीति को, जिसमें वह ऐसा अन्वेषण करेगा, विनियमित करने वाली विधि के किसी अन्य निदेश की, किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए, जानते हुए अवज्ञा करता है; या
(ग) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 154 की उपधारा (1) के अधीन, धारा 326क, धारा 326ख, धारा 354, धारा 354ख, धारा 370, धारा 370क, धारा 376, “धारा 376 क, धारा 376 कख, धारा 376 ख, धारा 376 ग, धारा 376 घ, धारा 376 घक, धारा 376 घख, धारा 376ड.” या धारा 509 के अधीन दंडनीय संज्ञेय अपराध के संबंध में उसे दी गई किसी सूचना को लेखबद्ध करने में असफल रहता है,
वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया। जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय,और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 166A — Public servant disobeying direction under law –
Whoever, being a public servant,-
(a) knowingly disobeys any direction of the law which prohibits him from requiring the attendance at any place of any person for the purpose of investigation into an offence or any other matter, or
(b) knowingly disobeys, to the prejudice of any person, any other direction of the law regulating the manner in which he shall conduct such investigation, or
(c) fails to record any information given to him under sub-section (1) of section 154 of the Code of Criminal Procedure, 1973 (2 of 1974), in relation to cognizable offence punishable under section 326A, section 326B, section 354, section 354B, section 370, section 370A, section 376, section 376A, “section 376AB, section 376B, section 376C, section 376D, section 376DA, section 376DB”, [substituted vide – Criminal Law (Amendment) Act, 2018 Dated – 11 Aug, 2018] section 376E or section 509, shall be punished with rigorous imprisonment for a term which shall not be less than six months but which may extend to two years, and shall also be liable to fine.