IPC की धारा 169 — लोक-सेवक जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है –
जो कोई लोक-सेवक होते हुए और ऐसे लोक-सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए कि वह अमुक संपत्ति को न तो क्रय करे और न उसके लिए बोली लगाए, या तो अपने निज के नाम में या किसी दूसरे के नाम में, अथवा दूसरों के साथ संयुक्त रूप से, या अंशों में, उस संपत्ति को क्रय करेगा, या उसके लिए बोली लगाएगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा, और यदि वह संपत्ति क्रय कर ली गई है, तो वह अधिहृत कर ली जाएगी।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 169 — Public servant unlawfully buying or bidding for property –
Whoever, being a public servant, and being legally bound as such public servant, not to purchase or bid for certain property, purchases or bids for that property, either in his own name or in the name of another, or jointly, or in shares with others, shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to two years, or with fine, or with both; and the property, if purchased, shall be confiscated.