IPC की धारा 178 — शपथ या प्रतिज्ञान से इन्कार करना जबकि लोक-सेवक द्वारा वह वैसा करने के लिए सम्यक् रूप से अपेक्षित किया जाए –
जो कोई सत्य कथन करने के लिए शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा अपने आप को आबद्ध करने से इंकार करेगा, जबकि उससे अपने को इस प्रकार आबद्ध करने की अपेक्षा ऐसे लोक-सेवक द्वारा की जाए जो यह अपेक्षा करने के लिए वैध रूप से सक्षम हो कि वह व्यक्ति इस प्रकार अपने को आबद्ध करे, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और अध्याय 26 के उपबंधो के अधीन रहते हुए उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसमे अपराध किया गया है ; या यदि अपराध न्यायालय में नहीं किया गया है तो कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा | |
IPC Section 178 — Refusing oath or affirmation when duly required by public servant to make it –
Whoever refuses to bind himself by an oath or affirmation to state the truth, when required so to bind himself by a public servant legally competent to require that he shall so bind himself, shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.