IPC की धारा 187 — लोक-सेवक की सहायता करने का लोप, जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो –
जो कोई किसी लोक-सेवक को, उसके लोक कर्तव्य के निष्पादन में सहायता देने या पहुँचाने के लिए विधि द्वारा आबद्ध होते हुए, ऐसी सहायता देने का साशय लोप करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा;
और यदि ऐसी सहायता की मांग उससे ऐसे लोक-सेवक द्वारा, जो ऐसी मांग करने के लिए वैध रूप से सक्षम हो, न्यायालय द्वारा वैध रूप से निकाली गई किसी आदेशिका के निष्पादन के, या अपराध के किए जाने का निवारण करने के, या बल्वे या दंगे को दबाने के, या ऐसे व्यक्ति को, जिस पर अपराध का आरोप है या जो अपराध का या विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागने का दोषी है, पकड़ने के प्रयोजनों से की जाए, तो वह सादा कारावास से जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पाँच सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, असंज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 187 — Omission to assist public servant when bound by law to give assistance –
Whoever, being bound by law to render or furnish assistance to any public servant in the execution of his public duty, intentionally omits to give such assistance, shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to one month, or with fine which may extend to two hundred rupees, or with both;
and if such assistance be demanded of him by a public servant legally competent to make such demand for the purposes of executing any process lawfully issued by a Court of Justice, or of preventing the commission of an offence, or of suppressing a riot, or affray, or of apprehending a person charged with or guilty of an offence, or of having escaped from lawful custody, shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to five hundred rupees, or with both.