IPC की धारा 212 — अपराधी को संश्रय देना –
जबकि कोई अपराध किया जा चुका हो, तब जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके बारे में वह जानता हो या विश्वास करने का कारण रखता हो कि वह अपराधी है, वैध दण्ड से प्रतिच्छादित करने के आशय से संश्रय देगा या छिपाएगा;
यदि अपराध मृत्यु से दण्डनीय हो – यदि वह अपराध मृत्यु से दण्डनीय हो तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
यदि अपराध आजीवन कारावास से या कारावास से दण्डनीय हो – और यदि वह अपराध आजीवन कारावास से, या दस वर्ष तक के कारावास से, दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
और यदि वह अपराध एक वर्ष तक, न कि दस वर्ष तक के कारावास से दण्डनीय हो, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से, जिसकी अवधि उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
इस धारा में “अपराध” के अन्तर्गत भारत से बाहर किसी स्थान पर किया गया ऐसा कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो निम्नलिखित धारा अर्थात्, 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 402, 435, 436,449, 450, 457,458,459 और 460 में से किसी धारा के अधीन दण्डनीय होता और हर एक ऐसा कार्य इस धारा के प्रयोजनों के लिए ऐसे दण्डनीय समझा जाएगा, मानो अभियुक्त व्यक्ति उसे भारत में करने का दोषी था।
अपवाद – इस उपबंध का विस्तार किसी ऐसे मामले पर नहीं है जिसमें अपराधी को संश्रय देना या छिपाना उसके पति या पत्नी द्वारा हो।
दृष्टांत
क यह जानते हुए कि ख ने डकैती की है, ख को वैध दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए जानते हुए छिपा लेता है। यहां ख’ आजीवन कारावास से दण्डनीय है, क तीन वर्ष से अनधिक अवधि के लिए दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय है और जुर्माने से भी दण्डनीय है।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 212 — Harbouring offender –
Whenever an offence has been committed, whoever harbours or conceals a person whom he knows or has reason to believe to be the offender, with the intention of screening him from legal punishment;
if a capital offence – shall, if the offence is punishable with death, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, and shall also be liable to fine; IPC की धारा 212
if punishable with imprisonment for life, or with imprisonment – and if the offence is punishable with imprisonment for life, or with imprisonment which may extend to ten years, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine;
and if the offence is punishable with imprisonment which may extend to one year, and not to ten years, shall be punished with imprisonment of the description provided for the offence for a term which may extend to one-fourth part of the longest term of imprisonment provided for the offence, or with fine, or with both. IPC की धारा 212
“Offence” in this section includes any act committed at any place out of [India], which, if committed in India, would be punishable under any of the following sections, namely, 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396,397, 398, 399, 402, 435, 436,449,450,457,458, 459 and 460; and every such act shall, for the purposes of this section, be deemed to be punishable as if the accused person had been guilty of it in India. IPC की धारा 212
Exception – This provision shall not extend to any case in which the harbour or concealment is by the husband or wife of the offender.