IPC की धारा 215 — चोरी की संपत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेना –
जो कोई किसी व्यक्ति की किसी ऐसी जंगम संपत्ति के वापस करा लेने में, जिससे इस संहिता के अधीन दण्डनीय किसी अपराध द्वारा वह व्यक्ति वंचित कर दिया गया हो, सहायता करने के बहाने या सहायता करने की बाबत कोई परितोषण लेगा या लेने का करार करेगा या लेने को सहमत होगा, वह, जब तक कि अपनी शक्ति में के सब साधनों को अपराधी को पकड़वाने के लिए और अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के लिए उपयोग में न लाए, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
अपराध का वर्गीकरण–इस धारा के अधीन अपराध, संज्ञेय, जमानतीय, अशमनीय, और प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है| |
IPC Section 215 — Taking gift to help to recover stolen property, etc. –
Whoever takes or agrees or consents to take any gratification under pretence or on account of helping any person to recover any movable property of which he shall have been deprived by any offence punishable under this Code, shall, unless he uses all means in his power to cause the offender to be apprehended and convicted of the offence, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.